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उपग्रहों का शतक पूरा करेगा इसरो

पीएसएलवी-40 से छोड़ा जाने वाला आखिरी उपग्रह इसरो द्वारा तैयार 100 वां उपग्रह होगा, एक साथ 31 उपग्रहों की लांचिंग 12 को

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बेंगलूरु.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आगामी 12 जनवरी को छोड़ा जाने वाला पीएसएलवी सी-40/कार्टोसैट-2 सीरिज मिशन ऐतिहासिक होगा। इस मिशन के साथ कुल 31 उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित किए जाएंगे।
इस मिशन की विशेषता यह है कि इसमें इसरो उपग्रह केंद्र (आईसैक) द्वारा तैयार उपग्रहों का शतक पूरा होगा। इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक एम.अन्नादुरै ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि 'जैसे ही मिशन का आखिरी उपग्रह पीएसएलवी सी-40 से अलग होकर अपनी कक्षा में जाएगा यह हमारा 100 वां उपग्रह होगा। इसके साथ ही हमारा पहला शतक पूरा हो जाएगा। हम इस मिशन की उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मिशन के साथ कुल 31 उपग्रह भेजे जाएंगे जिनमें से 3 उपग्रह भारतीय हैं। मुख्य पे-लोड कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह है जबकि 28 उपग्रह विदेशी हैं। तीसरा भारतीय उपग्रह माइक्रोसैटेलाइट है जो इस मिशन के दौरान सबसे आखिर में धरती की कक्षा में प्रवेश करेगा। माइक्रोसैटेलाइट का वजन लगभग 100 किलोग्राम है

कुल 1323 किलो उपग्रह ले जाएगा पीएसएलवी
पीएसएलवी सी-40 के साथ भेजे जाने वाले 31 उपग्रहों में से 3 लघु और 25 नैनो उपग्रह (वजन कुल 613 किलोग्राम) छह देशों कनाडा, फीनलैंड, फ्रांस, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, ब्रिटेन और अमरीका के हैं। मुख्य पे-लोड कार्टोसैट-2 है जिसका वजन 710 किलोग्राम है जबकि सभी उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से 12 जनवरी को सुबह 9.28 बजे छोड़ा जाएगा।
चंद्रयान-2 का इंटीग्रेशन, परीक्षण अंतिम दौर में
इसरो के आगामी मिशनों के बारे में अन्नादुरै ने बताया कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इसी साल की पहली तिमाही में करने की योजना है। इस मिशन के साथ आर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे जाएंगे। उपग्रह का इंटीग्रेशन और परीक्षण अंतिम दौर में है।
निजी क्षेत्र इंटीग्रेट करेगा अगला नौवहन उपग्रह
उन्होंने बताया कि इसरो का पिछला मिशन आईआरएनएसएस-1एच पीएसएलवी सी-39 के हीटशील्ड में फंसे रहने के कारण विफल हो गया था। इसरो उपग्रह केंद्र इस नौवहन उपग्रह का रिप्लेसमेंट तैयार कर रहा है जो आईआरएनएसएस-1 आई होगा। यह इसरो का पहला उपग्रह होगा जिसकी एसेंबलिंग, इंटीग्रेशन और परीक्षण पूरी तरह निजी क्षेत्र करेगा। इससे पहले आईआरएनएसएस-1एच के इंटीग्रेशन में भी निजी क्षेत्र की भूमिका रही थी लेकिन आईआरएनएसएस-1 आई पहला ऐसा उपग्रह होगा जिसे पूरी तरह निजी क्षेत्र द्वारा तैयार किया जाएगा।