19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अगले पांच साल में अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई स्थापित करने का लक्ष्य

चंद्रमा पर मानव मिशन की भी तैयारीतकनीक के विकास में जुटे इसरो वैज्ञानिक

2 min read
Google source verification
अगले पांच साल में अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई स्थापित करने का लक्ष्य

अगले पांच साल में अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई स्थापित करने का लक्ष्य

बेंगलूरु.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले पांच साल में अंतरिक्ष स्टेशन (स्पेस स्टेशन) निर्माण के लिए अपनी पहली इकाई स्थापित करने को लेकर आश्वस्त है। इसरो ने 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर पहले भारतीय को भेजने सहित कई महात्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए।

इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा कि, यह कोई बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं है। प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन के लिए काफी तेजी से काम आगे बढ़ रहा है। भरोसा है कि, वष 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की पहली इकाई स्थापित करने में सफल रहेंगे। उन्होंने कहा कि, अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और उसके लिए आवश्यक तकनीकों का विकास अंतत: चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने में सहायक होगा। इसके अलावा गगनयान मिशन के लिए विभिन्न चरणों में प्रौद्योगिकियां विकसित की जा रही हैं जो अंतत: इन मिशनों के लिए काफी उपयोगी साबित होंगी।

2035 तक पूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन
इसरो की वर्तमान योजना के मुताबिक 120 से 140 किमी की ऊंचाई पर अंतरिक्ष स्टेशन तैयार किया जाएगा जहां तीन अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। लेकिन, इस योजना में बदलाव भी संभव है। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि, वर्ष 2028 तक पहली इकाई स्थापित करने के बाद 2035 तक पूरा अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होने की उम्मीद है। हो सकता है कि, इसमें एक या दो साल की देरी हो।

एनजीएलवी के विकास प्रगति पर
सोमनाथ ने कहा कि, 2028 तक पहली पहली अंतरिक्ष इकाई स्थापित करने के लिए वर्तमान प्रक्षेपणयान (जीएसएलवी) का ही प्रयोग होगा। लेकिन, उसके बाद अधिक ताकतवर प्रक्षेपणयान की आवश्यकता होगी। इसके लिए एनजीएलवी (नेक्सट जेनेरेशन लांच व्हीकल) का विकास हो रहा है। उम्मीद है कि, एनजीएलवी का विकास 2034-35 तक कर लिया जाएगा। यह संपूर्ण अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। इसरो की एक बड़ी टीम एनजीएलवी के विकास पर काम कर रही है। इसकी संरचना को अंतिम रूप दिया जा चुका है। टीम ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है जिसमें यह बताया गया है कि, रॉकेट कैसा दिखेगा। इसरो की कोशिश है कि, इस रॉकेट का निर्माण इस तरह से हो कि, इसका कुछ अंश री-यूजेबल भी हो।

चांद पर कई मिशन भेजने की तैयारी
सोमनाथ ने कहा कि, 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने का लक्ष्य है। इसमें अभी 17 साल का समय है। यह आवश्यक तकनीक विकसित करने के लिए अच्छा समय है। वर्ष 2047 तक (जब भारतीय स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होंगे) भारत चंद्रमा पर कई मिशन भेजेगा। वर्ष 2023-28 तकनीकी विकास चरण होगा वहीं, 2028-40 चंद्रमा पर अपनी पहुंच बढ़ाने और चंद्र मिशन में अपनी पकड़ मजबूत करने का चरण होगा। वर्ष 2040 से 47 तक चंद्रमा पर अपना बेस स्थापित करने की कोशिश होगी। जहां चंद्रयान-4 सैंपल रिटर्न मिशन होगा वहीं, चंद्रयान-5 चंद्रमा पर लंबा समय व्यतीत करने वाला मिशन होगा।