scriptIsro will launch new series of remot sensing satellites | दूर संवेदी उपग्रहों की नई श्रृंखला Launch करेगा ISRO | Patrika News

दूर संवेदी उपग्रहों की नई श्रृंखला Launch करेगा ISRO

locationबैंगलोरPublished: Sep 17, 2019 10:33:14 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

श्रृंखला के पहले उपग्रह GISAT-1 की Launching इसी साल संभव, दे श के हर भू-भाग पर होगी हर-पल निगाह

दूर संवेदी उपग्रहों की नई श्रृंखला Launch करेगा ISRO
दूर संवेदी उपग्रहों की नई श्रृंखला Launch करेगा ISRO
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO दूर संवेदी उपग्रहों Remot sensing satellites की एक नई श्रृंखला तैयार करेगा। इसके तहत जिओ-इमेजिंग-सैटेलाइट अर्थात GISAT-01 और GISAT-012 नामक दो उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित किए जाएंगे। ये बेहद शक्तिशाली एवं उन्नत किस्म के उपग्रह हैं जिससे भारतीय भू-भाग के हर कोने पर हर-पल निगाह रखी जा सकेगी। इस उपग्रह की जद में पाकिस्तान, पश्चिमी चीन और हिंद महासागर का कुछ हिस्सा भी रहेगा।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक जीआइसैट-1 का प्रक्षेपण इस साल के अंत तक होने की संभावना है। इसका प्रक्षेपण GSLV MARK-2 रॉकेट से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा। इसरो ने भविष्य के मिशनों की प्राथमिकता तय करते हुए इस उपग्रह को प्रमुखता दी है। अक्टूबर अंत तक CARTOSAT-03 के प्रक्षेपण के बाद जीआइसैट मिशन पर जोर दिया जाएगा। लगभग 2100 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह में मल्टी-स्पेक्ट्रल और मल्टी रिजोल्यूशन पे-लोड हैं और इसे 7 साल के मिशन पर भेजा जाएगा।
इस उपग्रह की सबसे बड़ी खूबी यह होगी कि 3 हजार गुणा 3 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की पूर्ण स्कैनिंग महज 7 मिनट के अंतर पर कर 50 मीटर रिजोल्यूशन की तस्वीर देगा। इसी तरह अगर 6 हजार गुणा 6 हजार वर्ग किमी भू-भाग की स्कैनिंग 17 मिनट में हो जाएगी और 500 मीटर रिजोल्यूशन की तस्वीर मिलेगी। यह बेहद फुर्तीला उपग्रह है जिससे जरूरतों के मुताबिक देश के किसी भी कोने की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कुछ ही मिनटों में तैनात किया जा सकता है। हालांकि, कार्टोसैट श्रृंखला के उपग्रह भी धरती की बेहद उम्दा और हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें उतारने में सक्षम है लेकिन धरती की निचली कक्षा LEO में होने के कारण ये पृथ्वी की एक परिक्रमा जल्दी पूरी कर लेते हैं। किसी विशेष स्थान पर ये कुछ ही देर के लिए उपलब्ध होते हैं और दोबारा उसी स्थान तक पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं।
जीआइसैट श्रृंखला के उपग्रहों की निगाह हमेशा भारतीय भू-भाग पर रहेगी। एक ही स्थान के दो अवलोकनों के बीच समय का अंतर कुछ ही मिनटों का होगा। वहीं, किसी दो अलग-अलग स्थानों के अवलोकन के लिए उतना ही समय लगेगा जितना उपग्रह का रुख एक स्थान से दूसरे स्थान तक मोडऩे में चाहिए। इस उपग्रह से आपदा प्रबंधन निगरानी और राहत कार्यों के समन्वय में सहूलियत होगी साथ ही कृषि नियोजन, मौसम के अवलोकन, पर्यावरण की निगरानी आदि में भी कारगर होगा। यह उपग्रह नौसेना के जहाजों की पहचान करने एवं उनमें भेंद करने में सक्षम होगा। इंफ्रारेड इमेजिंग क्षमता के चलते यह दुश्मनों के विमानों और मिसाइलों की पहचान करने में भी सक्षम होगा।
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