
मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार
caste census report बेंगलूरु: कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण, जिसे "जाति जनगणना" के नाम से जाना जाता है, सरकार को रिपोर्ट (caste census report) सौंपे जाने से पहले ही विवादों में घिर गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर गहरे मतभेद, इसकी स्वीकृति और सर्वेक्षण के खिलाफ शक्तिशाली समुदायों के कड़े विरोध के बीच मूल "वर्क-शीट" प्रति गायब है। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी के भी संकेत हैं। सरकार ने मूल रूप से रिपोर्ट (caste census report) प्रस्तुत होने तक इसके वर्तमान अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े का कार्यकाल कुछ महीनों के लिए बढ़ा दिया है।
उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) ने भी डेटा के साथ मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या (CM Siddramaiah) को हस्ताक्षरकर्ता के रूप में एक ज्ञापन सौंपकर इसे अस्वीकार करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवगौड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा, डीवी सदानंद गौड़ा और एचडी कुमारस्वामी, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, विपक्ष के नेता आर अशोक जैसे वरिष्ठ नेताओं, भाजपा और जद (एस) विधायकों ने भी ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये है।
वहीं बागलकोट में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या (CM Siddramaiah) ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद देखेंगे। बिना तत्य के अफवाहों पर बात करना अच्छा विकास नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से दिए गए बयान जाति जनगणना समाज को विभाजित करेगी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि क्या उन्हें पता है कि रिपोर्ट में क्या है? बिना जाने किसी को भी नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि हम समाज को क्यों बांटेंगे। नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय जनगणना को स्वीकार किया है। क्या उन्होंने समाज को बांट दिया है। कोई भी बयान देते समय वह तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। Karnataka government accused of dividing society due to caste census report
Published on:
23 Nov 2023 11:03 pm
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