
दुनिया में कृष्ण कम और शकुनि ज्यादा हैं-समकित मुनि
बेंगलूरु. हलसूर जैन स्थानक में विराजित श्रमण संघीय डॉ. समकित मुनि ने कहा परस्पर सहयोग करना जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। हम लोग घर में एक दूसरे को हराने के लिए लगे रहते हैं, उसका ही प्रयत्न करते रहते हैं तो उसमें जीत किसी की नहीं होती। रिश्ते हार जाते हैं। घर में एक दूसरे को समझकर सहयोग करते हुए आगे बढ़ते हैं किसी की खामियां नहीं खूबियां ढूंढते हैं तो घर सुंदर बन जाता है। हम सहयोग करने के बजाय एक दूसरे को हराने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए आपस में उलझ जाते हैं और कब इस प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं पता ही नहीं चलता। अगर रिश्ते में कोई खटाई है तो सुलझाने के लिए किसी तीसरे को बीच-बचाव का मौका मत दो क्योंकि अगर दुर्योधन शकुनि की सलाह नहीं लेता तो महाभारत नहीं होता, इस दुनिया में कृष्ण कम और शकुनि ज्यादा हंै, तीसरे को मौका मत दो। अगर आपस में एक दूसरे को नीचा दिखाने लगते हैं तो रिश्ता कड़वा हो जाता है। आपस में एक दूसरे को जिताने की कोशिश करनी चाहिए। मुनि ने कहा जो जिनेंद्र भगवान होते हैं वह किसी को हराते नहीं है, और खुद भी हारते नहीं हंै। इस बात पर जो चलते हैं वह समय आने पर जिनेंद्र बनते हैं। आपस में सहयोग नहीं होने के कारण दूरियां बढ़ती हंै, छोटी-छोटी बातों के लिए विवाद होते हैं। हम जिसको मोहब्बत के लिए चुनते हैं उसी के साथ मुकाबला करने लग जाते हैं। लोग हथलेवा जोड़ कर जीवनसंगिनी को घर लाते हैं, लेकिन सहयोग करने के बजाए हाथ उठाने पर भी परहेज नहीं करते हैं। परस्पर सहयोग से हमारा घर सुंदर बनेगा एवं जीवन निखरेगा। दूध में खट्टा जावण देने से दही खट्टा जमेगा, ठीक उसी प्रकार रिश्तो में खट्टी बातों का जावण देते हैं तो रिश्ते खट्टे बन जाएंगे। मुनिने प्रेरणा दी की रिश्तों में आपस में सहयोग करो। अपनी गाड़ी आप स्वयं चलाओ और ठीक रखो उसे किसी तीसरे व्यक्ति को धक्का मारने का मौका मत दो। मुनि का विहार बुधवार सुबह सूर्योदय के पश्चात हलसूरु से निकुंदी गौशाला होगा। इस मौके पर किशनलाल कोठारी, चंद्र प्रकाश मूथा, नरेंद्र दूदेडिया, सुरेश कोठारी, प्रेम कोठारी, चंचल चोपड़ा, चंद्रा चोपड़ा, माया कोठारी, संतोष कोठारी और वसंता बाई दूधेडिय़ा आदि उपस्थित थे।
Published on:
08 Dec 2020 04:38 pm
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