
बेंगलूरु. भाषा केवल सम्प्रेषण का माध्यम मात्र ही नहीं अपितु संस्कृति की वाहक भी है। भाषा विचारों की अभिव्यक्ति के साथ उनकी परिचायक भी होती।
यह बात भारत उत्थान न्यास, कानपुर एवं जी. टी. इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, बेंगलूरु के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय भाषाओं के समन्वय पर आधारित भाषा संगम कार्यक्रम में मुख्य अतिथि न्यास के केंद्रीय अध्यक्ष सुजीत कुन्तल ने कही।
भारतीय भाषाओं के समन्वय की आवश्यकता एवं लुप्त होती भाषाओं की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान, प्रज्ञा, बुद्धि और चेतना आदि के लिए उर्दू या अंग्रेजी में क्या शब्द हैं? तलाक और डिवोर्स के लिए हिंदी या संस्कृत में क्या शब्द हैं? इस प्रकार के छोटे छोटे प्रश्न बता सकते हैं कि भाषा का विचारों और संस्कृति के साथ क्या सह-संबंध है। विशिष्ट अतिथि निवेदिता चतुर्वेदी ने बताया कि विगत लगभग 50 वर्षों में किस प्रकार भारतीय भाषाओं की संख्या घटती गई है। उन्होंने बताया कि इसका प्रमुख कारण भाषाओं के आधार पर बने प्रदेशों में प्रादेशिक भाषाओं पर अधिक जोर और क्षेत्रीय बोलियों की उपेक्षा है। उन्होंने बताया कि आदिवासी भाषाओं में उपलब्ध शिक्षण व्यवस्था से हम किस प्रकार नक्सलवाद जैसी समस्याओं से भी मुक्ति पा सकते हैं। भारत जैसे बहुभाषी देश में एक राष्ट्र भाषा अर्थात सम्पर्क भाषा के रूप में हिंदी की आवश्यकता पर बल देते हुए हिंदी के प्रस्थापन की बात की।
संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.बी.जी सत्यप्रसाद ने वर्चुअल माध्यम से उपस्थित होकर बताया कि विश्व के अधिकांश देशों में उनकी मातृभाषा में ही कार्य संपादित होते हैं इसलिए भारत में भी संपर्क भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने की आवश्यकता है। इससे ज्ञान के आदान-प्रदान में सभी को सहजता होगी। मालती एच ने संस्कृत, डॉ सुब्रमण्य भट्ट ने कन्नड़, डॉ राजेश्वरी ने हिन्दी, डॉ सुनीता विवेक ने मराठी, डॉ सेलवन वी ने तमिल, डॉ ज्योतिर्मयी ने मलयालम व हेमलता शर्मा ने मालवी भाषा का प्रतिनिधित्व कर प्रतिभागियों को मातृभाषा में शिक्षण कार्य करने के लिए प्रेरित किया। प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। न्यास बेंगलूरु इकाई की अध्यक्ष डॉ. के. सुवर्णा को स्मृति चिह्न व सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। संस्थान के शिक्षकों मंजुला पै, रेखा महादेव, सुरेश, गुरु आदि का सहयोग रहा। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ कक्षा 4 के छात्र सम्पूज्य के वैदिक मंत्रोच्चारण और छात्राओं के भारतीय विविधता को प्रदर्शित करती हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुई। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अभिलाष व प्रो. संतोष ने किया। इंस्टीट्यूटशंस की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. के. सुवर्णा ने कन्नड़ और हिन्दी भाषा में अतिथियों का परिचय देने के साथ ही स्वागत किया। प्रिंसिपल डॉ मंजुनाथ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
Published on:
08 Feb 2023 01:41 am
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
