
मोबाइल वरदान है, इसे अभिशाप न बनाइए
बेंगलूरु. राजस्थान पत्रिका, बेंगलूरु संस्करण के 28वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पत्रिका फेस्ट की तीसरी कड़ी में बुधवार को राजाजीनगर नगर स्थित राजस्थान पत्रिका कार्यालय में माहेश्वरी समाज की महिलाओं के साथ परिचर्चा का आयोजन किया गया। माहेश्वरी महिला मंडल की पदाधिकारियों व सदस्यों ने परिचर्चा में हिस्सा लिया। पारिवारिक रिश्ते और मोबाइल विषय पर परिचर्चा में महिलाओं ने खुलकर विचार व्यक्त किए।
महिलाओं ने जहां मोबाइल को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यंत उपयोगी बताया वहीं रिश्तों की मधुरता पर इसके दुष्परिणामों पर चिंता भी जाहिर की। महिलाओं ने मोबाइल के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि मोबाइल का उपयोग एक सीमा तक होना चाहिए। यदि बच्चों के लिए मोबाइल का उपयोग जरूरी भी हो तो बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। लोगों से जुड़ाव में जहां मोबाइल बड़ी सुविधा ला रहा है वहीं इसकी लत लग जाए तो यह दुविधा के रास्ते पर भी ले जा सकता है।........
विवेक से करें मोबाइल का उपयोगमाहेश्वरी महिला मंडल की सदस्य सुनीता मूंदड़ा ने कहा कि मोबाइल के ग्रुपों के जरिए परिवार बड़ा होने लगा है। इसके जरिए परिवारों में होने वाली सामाजिक गतिविधियों की जानकारी मिल जाती है। वहीं मोबाइल के अधिक उपयोग से हमारा कीमती समय जाया होता है। यही समय यदि हम परिवार के सदस्यों के साथ बिता सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल का उपयोग कब करना है और कब नहीं करना है। यह भी निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि अपनों को भी समय दिया जा सके।
-----------------------------------पढ़ाई पर असर
रतन बियाणी का कहना है कि पारिवारिक कार्यों के लिए मोबाइल अच्छा उपकरण है। इससे कम समय में अपनों से वार्तालाप कर उनके हाल चाल भी जाने जा सकते हैं। यह देश दुनिया से जोड़ता भी है। उन्होंने कहा कि आज बच्चे मोबाइल के आदी हो रहे हैं। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। हाल ये है कि गृहणियां भी मोबाइल के चलते व्यस्त हो गई हैं। उन्हें समय का पता ही नहीं चलता है। इसके चलते कहीं ना कहीं पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं।---------------------------------------
आध्यात्मिक जगत से जोड़ता है मोबाइलमाहेश्वरी महिला मंडल की संस्थापक और सलाहकार सदस्य कृष्णा डागा ने कहा कि मोबाइल धर्म कर्म व अध्यात्म से जुड़े लोगों के लिए वरदान बन रहा है। सुबह उठकर जहां भजन सुनकर शांति पाई जा सकती है, वहीं गीता का सार सुनकर अपने आप को अध्यात्म में डुबोया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे खाटू श्याम जाते हैं तो वे वहां से श्याम बाबा के लाइव दर्शन करा देते हैं। इसलिए मोबाइल को वे उपयोगी मानती हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल के बढ़ते उपयोग के कारण बच्चे अपने परिवार व माता-पिता को भी समय नहीं दे पा रहे हैं। सही कहा जाए तो मोबाइल जोड़ने का काम नहीं कर रहा है। घर में रहकर भी सभी सदस्य अलग-अलग रहते हैं।
दुरुपयोग नहीं करें तो दोस्त है मोबाइल
माहेश्वरी महिला मंडल की सदस्य विजयलक्ष्मी सारड़ा ने कहा कि आज की लाइफ स्टाइल में मोबाइल अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में मोबाइल काफी सहायक होता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल पर गेम खेलना इसका दुरुपयोग है। लोग मोबाइल पर अनावश्यक समय जाया कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल ने लोगों को समाज से जोड़ा है। वहीं घंटों का काम मिनटों में करने की क्षमता दी है। उन्होंने कहा कि मोबाइल का उपयोग करने के लिए बच्चों को समझाना होगा। उन्होंने कहा कि हम जब मोबाइल का दुरुपयोग नहीं करेंगे तो बच्चे भी इसका समुचित उपयोग करेंगे।
भोजन करते समय बंद रखें मोबाइलमाहेश्वरी महिला मंडल की अध्यक्ष श्वेता बियाणी ने कहा कि मोबाइल के बिना जीवन अधूरा है। मोबाइल स्वीच ऑफ हो जाए या बैटरी डिस्चार्ज हो जाए तो महिलाओं को दूध जलने की चिंता नहीं रहती है। मोबाइल ठीक कराने के लिए शोर शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले नारी को ही मोबाइल के उपयोग के लिए नियम बनाने होंगे। ताकि उनका पालन घर का हर सदस्य करे। भोजन करते समय व पूजा पाठ करते समय मोबाइल को बंद कर देना चाहिए।
पैदा होते ही बच्चे को मोबाइल नहीं पकड़ा दें
माहेश्वरी नवयुवती मंडल की मृणाल राठी ने कहा कि पहले हमें बच्चों को उदाहरण देना होगा। इसके लिए पहले मां को मोबाइल का उपयोग नहीं करना है तब ही वह अपने बच्चों को मोबाइल का उपयोग नहीं करने के लिए बाध्य कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे मोबाइल पर क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी मां को रहनी चाहिए। मोबाइल पर बच्चा क्या देख रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं है जो चीज उसके लायक नहीं है वह उसे देख रहा है। उन्होंने कहा कि जरूरी हो गया है कि बच्चे और मोबाइल में सामंजस्य बैठाया जाए। आजकल पैदा होते ही बच्चे को मोबाइल थमा दिया जाता है जो सर्वथा गलत है-
समय से पहले बड़े हो रहे बच्चेमाहेश्वरी महिला मंडल की सहसचिव सुनीता लाहोटी ने कहा कि मोबाइल बच्चों को समय से पहले बड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि मोबाइल, सिगरेट और शराब से भी ज्यादा खराब व्यसन है। लोगों पर इसका नकारात्मक असर भी पड़ रहा है। ये ऐसी लत है जो मां-बाप बच्चों को बचपन से लगा रहे हैं। हाल ये है कि बच्चे बिना मोबाइल के खाना खाते ही नहीं हैं। डेढ़ साल का बच्चा भी मोबाइल पर विज्ञापन पर उसे आगे बढ़ाने को कहता है। बच्चों में मोबाइल का क्रेज चिंताजनक है। नया खेल भी मां-बाप को सिखाने की जरूरत नहीं है बच्चे स्वयं गूगल पर सर्च कर लेते हैं।
बच्चों को दें समय
माहेश्वरी महिला मंडल की कार्यकारिणी सदस्य गायत्री मालपानी ने क।हा कि अध्यात्म के क्षेत्र में मोबाइल काफी लाभदायी सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि मोबाइल के जरिए मैंने अपने पौत्री को भी कई श्लोक याद कराए हैं। बच्चों को हम समय देंगे तो वे मोबाइल कम देखेंगे। हमें बच्चों की परवरिश पर पूरा ध्यान देना होगा। उनसे समय बचे तो कुछ समय समाज के लिए देना होगा। मोबाइल का ही कमाल है कि हम दूर बैठकर भी अपनों से रूबरू हो जाते हैं।
Published on:
19 Jan 2023 02:54 pm
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