
आगम सूत्रों का श्रवण श्रावकों का आद्यकर्तव्य : नयचंद्रसागर
बेंगलूरु.जैन आगम तीर्थंकर परमात्माओं का संदेश है। इन आगमों में ज्ञान का भंडार छिपा है। ऐसे आगमों का अध्ययन करना करना हमारा दायित्व है। जैन शासन में स्वाध्यायी आचार्य उपाध्याय संतों की एक महान परंपरा रही है। आचार्य हरिभद्रसूरी, हेमचंद्राचार्य, उपाध्याय यशोविजय जैसे साधक संतों ने लगातार ज्ञान की आराधना कर जिन शासन की प्रभावना की है। आचार्य नयचंद्र सागर ने यह बात कही।
माधवनगर के मुनिसुव्रत स्वामी मंदिर में आगमसूत्र वांचन से पहले धर्मसभा में बोलते हुए आचार्य ने कहा की शास्त्रों में आगमसूत्रों के श्रवण को श्रावकों का आद्यकर्तव्य बताया गया है। ज्ञान की आराधना सबसे श्रेष्ठ आराधना है। शास्त्रों के निरंरत स्वाध्याय से हमारा जीवन धर्मनिष्ठ रहता है। धर्म शास्त्रों का स्वाध्याय करनेवाली आराधक आत्मा ही आत्मकल्याण के पथ पर चल सकती है। अभिनंदनचंद्रसागर ने कहा कि शहर के पैलेस ग्राउंड में आयोजित होने वाले बालमुनि नमिचंद्रसागर तथा नेमिचंद्रसागर के अनूठे 'बालशतावधानÓ कार्यक्रमों को लेकर पूरे शहर में एक वातावरण बन रहा है। धर्मसभा में पाश्र्वचन्द्रसागर ने आगम का वांचन किया। उसके पश्चात आगम ग्रंथों की आरती उतारी गई। मंदिर के ट्रस्टी प्रकाश पिरगल ने श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत किया। समारोह में माधवनगर संघ के न्यासी संपतराज कोठारी, गौतम सुराणा, भवरलाल कटारिया, प्रकाश कोठारी, संजय बांठिया, उपस्थित थे।
छाया, काया व माया नहीं देती साथ
बेंगलूरु. नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ राजाजीनगर में आचार्य महेंद्र सागर का सामैया के साथ आगमन हुआ।प्रवचन में उन्होंने कहा कि मनुष्य कितने ही प्रयत्न कर ले अंधेरे में छाया बुढापे में काया और अंत समय में माया किसी का साथ नहीं देती। आदमी को इन तीनों पर कभी इतराकर भरोसा नहीं करना चाहिए। अंधेरे में अपने तो क्या छाया भी गायब हो जाती है।लुणिया भवन में व्याख्यान के बाद आचार्य को कांबली उड़ाने का चढ़ावा मिलापचंद चौधरी ने लिया। ट्रस्टीगण एवं मांगीलाल लुणिया, नवरतनमल कटारिया उपस्थित थे। नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन नवयुवक मंडल ने व्यवस्थाएं संभाली।
Published on:
30 Nov 2018 08:26 pm
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