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कैंसर पीड़ित नौ वर्षीय बच्चे को मिली नई जिंदगी

उपचार ज्यादा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बच्चे के पास सिर्फ एक किडनी थी। वह कम उम्र में ही पहले कई बार किमोथेरेपी से गुजर चुका था। दवाओं की उच्च मात्रा के कारण जानलेवा संक्रमण का खतरा अधिक था। इलाज के दौरान विक्रम अक्सर रोता था। कभी दर्द से कभी डर से।

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- एक किडनी, कैंसर, संघर्ष और बीएमटी

-अस्पताल, इंजेक्शन, दर्द और डर से भरे थे तीन वर्ष

-किदवई को मिली बड़ी सफलता

खेलने, स्कूल जाने और सपने देखने की उम्र। लेकिन, विक्रम (बदला हुआ नाम) के लिए बीते तीन वर्ष अस्पताल, इंजेक्शन, दर्द और डर से भरे थे। उसके माता-पिता ने दिसंबर 2022 में जब पहली बार सुना की उनके लाडले को विल्म्स ट्यूमर Wilms tumor (किडनी कैंसर) Kidney Cancer है तब पल भर में उनकी दुनिया बदल गई।

विक्रम की मां घरों में काम करने वाली महिला और पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। कैंसर का नाम सुनते ही उनके सामने बीमारी से ज्यादा बड़ा सवाल था कि इलाज कैसे होगा? इस बीच, शहर के सरकारी किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ आन्कोलॉजी Kidwai Memorial Institute of Oncology (केएमआइओ) और उसके चिकित्सक इस बच्चे के लिए दूत बनकर सामने आए और उपचार में कोई कसर बाकी नहीं रखी। कीमोथेरेपी chemotherapy के बाद उसकी बाईं किडनी निकालनी पड़ी। विक्रम ठीक हो गया। उसने फिर से हंसना शुरू किया। लेकिन, इस वर्ष अप्रेल में कैंसर (रीलैप्स्ड विल्म्स ट्यूमर) ने फिर से दस्तक दी।

कभी दर्द से कभी डर से...

बोन मैरो ट्रांसप्लांट Bone Marrow Transplant (बीएमटी) विभाग की डॉ. वसुंधरा कैलाशनाथ ने बताया कि इस बार बच्चे की जान बचाने का सबसे प्रभावी और एक मात्र उपचार विकल्प हाई डोज कीमोथेरेपी के बाद बीएमटी था। उपचार ज्यादा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बच्चे के पास सिर्फ एक किडनी थी। वह कम उम्र में ही पहले कई बार किमोथेरेपी से गुजर चुका था। दवाओं की उच्च मात्रा के कारण जानलेवा संक्रमण का खतरा अधिक था। इलाज के दौरान विक्रम अक्सर रोता था। कभी दर्द से कभी डर से। हर दवा, हर कदम, हर निर्णय बेहद सावधानी से लेना पड़ा। बीएमटी BMT सफल रहा। विक्रम को शनिवार को अस्पताल से छुट्टी मिली। उसकी मां Mother की आंखों में आंसू थे। दुख के नहीं राहत और कृतज्ञता के।

हौसले, आत्मविश्वास और भविष्य की जीत

चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल ने अस्पताल में विक्रम और परिवार से विशेष मुलाकात की। इलाज करने वाले टीम की सराहना की और कहा, यह सिर्फ मेडिकल सफलता नहीं बल्कि बच्चे के हौसले, आत्मविश्वास और भविष्य की जीत है।

एचओटीए लाइसेंस प्राप्त

किदवई के निदेशक डॉ. नवीन टी. ने बताया कि केएमआइओ अप्रेल 2022 से बीएमटी कर रहा है। राज्य Karnataka के अन्य किसी भी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा नहीं है। बीएमटी इकाई अब तक 130 ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है। इस अवसर पर केएमआइओ ने एचओटीए HOTO (मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994) के तहत अपने बीएमटी सेवाओं के लिए आधिकारिक लाइसेंस भी प्राप्त किया। केएमआइओ राज्य के उन कुछ चुनिंदा अस्पतालों में शामिल हो गया है जिन्हें यह अनुमति प्राप्त है।