
कन्नड़ फिल्म अभिनेता और पूर्व मंत्री एम एच अंबरीश ने अंतिम क्षणों नामांकन पत्र दाखिल करने से इनकार कर दिया। इससे पहले अम्बरीश को राजी करने की अंतिम कोशिश के तहत प्रदेश प्रभारी महासचिव के सी वेणुगोपाल भी उनसे मुलाकात करने घर पर गए लेकिन अम्बरीश अपने फैसले पर कायम रहे। अम्बरीश ने बाद में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने छह महीने पहले ही चुनाव नहीं लडऩे का फैसला कर लिया था।
अम्बरीश ने कहा कि वे स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं। साथ ही अम्बरीश ने चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने से भी मना कर दिया। अम्बरीश ने सिद्धरामय्या के दो सीटों से चुनाव लडऩे पर भी नाराजगी जताई। पत्रकारों से बातचीत में अम्बरीश ने कहा कि सिद्धरामय्या मंत्रिमंडल से उन्हें खराब प्रदर्शन के आधार पर हटाया गया था इसलिए पार्टी अब सिर्फ विधायक बनने के लिए चुनाव लडऩे का दबाव नहीं डाल सकती है। अम्बरीश ने कहा कि ६६ साल की उम्र में अब सेहत साथ नहीं दे रहा है और वे राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं रह सकते हैं। इसलिए चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया। हालांकि, राजनीति से संन्यास लेने से इनकार करते हुए कहा कि वे सिर्फ चुनाव से दूर रहेंगे, यह विराम है।
अम्बरीश नहीं, रवि को मिला टिकट
अम्बरीश के नहीं मानने के बाद बाद मण्ड्या से कांग्रेस ने स्थानीय नेता रवि कुमार गणिगा को बी-फार्म दे दिया और रवि ने कुछ ही देर बाद नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। अम्बरीश के असमंजस में रहने के बाद उनके करीबी अमरावती चंद्रशेखर, पूर्व मंत्री आत्मानंद सहित कई नेता लॉबिंग में जुटे रहे लेकिन चलुवराय स्वामी के करीबी होने के कारण रवि को टिकट मिल गया। बताया जाता है कि इसमें डी के शिवकुमार की बड़ी भूमिका रही।
रवि को भी उम्मीदवार बनाए जाने पर भी अम्बरीश ने कांग्रेस पर हमला बोला। अम्बरीश ने आरोप लगाया कि जद (ध) के चलुवराय स्वामी और रमेश बंडी सिद्धेगौड़ा को पार्टी में शामिल करने से पहले उनसे विचार-विमर्श भी नहीं किया गया।
Published on:
25 Apr 2018 05:03 am
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
