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लिंगायत और अलग ध्वज मुद्दे पर गेंद राज्य सरकार के पाले में

गृह मंत्रालय ने कहा है कि राज्य की नई सरकार से उन्होंने फिर एक बार प्रस्ताव पर राय मांगी है, जिसे पिछली सरकार ने भेजा था। अब नव नियुक्त मुख्यमंत्री एच

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Now the state will decide the issue of Lingayat and different flag

Now the state will decide the issue of Lingayat and different flag

लिंगायत समुदाय को अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने व राज्य के लिए अलग झंडे की मांग पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से फिर एक बार प्रस्ताव भेजने को कहा है। केंद्र सरकार ने इन मांगों के प्रस्ताव को फिर से राज्य सरकार के पास भेज दिया है।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि राज्य की नई सरकार से उन्होंने फिर एक बार प्रस्ताव पर राय मांगी है, जिसे पिछली सरकार ने भेजा था। अब नव नियुक्त मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को फिर से यह प्रस्ताव भेजना होगा। इससे पहले सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने चुनावों से ठीक पहले राज्य के लिए अलग झंडे व लिंगायत समुदाय को अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेज दिया था। प्रस्तावित अलग राज्य ध्वज में पीला, सफेद और लाल रंग का समावेश है जबकि प्रतीक के तौर पर गंडाबेरुंडा है जो कि एक सिरों वाला पौराणिक पक्षी है। सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली प्रदेश कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले स्थाीयता के मुद्दे को हवा देते हुए इस ध्वज को स्वीकार किया था। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक लिंगायत को अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव जहां अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के पास भेज दिया गया वहीं राज्य के अलग झंडे के उपयोग का प्रस्ताव अंतर-मंत्रालयी परामर्श के तहत विचाराधीन है। मंत्रालय ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि लिंगायत और वीरशैव को अलग अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का व्यापक प्रभाव हो सकता है। आर्य समाज, राधास्वामी, वैष्णव और हिंदू धर्म के कुछ अन्य संप्रदाय भी विशिष्ट ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म का पालन नहीं करते। ये सभी संप्रदाय भी अलग धार्मिक दर्जा देने की मांग कर सकते हैं। इसके अलावा लिंगायत को एक अलग धर्म का दर्जा दिया जाता है तो वे अनुसूचित जाति की मान्यता से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि यह केवल हिंदुओं, सिखों और बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए ही है।
इस बीच केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार से पुन: प्रस्ताव मांगे जाने को एक रणनीति के तहत कांग्रेस-जद (ध) गठबंधन में फूट पैदा करने के दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। चुनावों में 78 सीटों के साथ बहुमत से दूर रहने के बाद कांग्रेस ने जनता दल (ध) के साथ गठबंधन किया और एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनी। चूंकि, जनता दल (ध) और कांग्रेस दोनों के मत इन मुद्दों पर अलग हैं इसलिए केंद्र सरकार के इस चाल से दोनों में तकरार पैदा करने की कोशिश हो सकती है। गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्य में अलग सरकार गठित हो चुकी है इसलिए वह इस संदर्भ में नया प्रस्ताव भेजे।