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एक सेकंड में लाखों अरब ऑपरेशंस को अंजाम देगा ‘परम प्रवेग’

सुपर कंप्यूटिंग क्षमता 3.3 पेटाफ्लॉप्स यानी 10 लाख अरब ऑपरेशंस प्रति सेकंड अनुसंधान गतिविधियों में आएगी तेजी, नए आविष्कारों में अहम भूमिका राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत अब तक 10 बड़े सुपर कंप्यूटर निर्मित

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एक सेकंड में लाखों अरब ऑपरेशंस को अंजाम देगा 'परम प्रवेग'

आइआइएससी में स्थापित हुआ देश का सबसे तीव्र सुपरकंप्यूटर

बेंगलूरु. शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में से एक भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) में देश के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर 'परम प्रवेगÓ एक सेकंड में अरबों आपरेशंस कर सकता है। इसकी सुपर कंप्यूटिंग क्षमता 3.3 पेटाफ्लॉप्स यानी 10 लाख अरब ऑपरेशंस प्रति सेकंड है। उम्मीद की जा रही है कि इससे देश भर में हो रहे विविध अनुसंधान और शैक्षिक गतिविधियों को मदद मिलेगी।

दरअसल, 1980 के दशक के मध्य में अमरीका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया। इसके बाद स्वदेशी तकनीक से सुपर कंप्यूटर विकसित करने की दिशा में एक लंबा सफर तय हुआ है। मौसम की भविष्यवाणी सहित विभिन्न अनुसंधानों में इसकी काफी आवश्यकता होती है।

राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत अब तक 10 बड़े सुपर कंप्यूटर निर्मित किए गए हैं जिनकी स्थापना, आइआइएसी के अलावा आइआइटी, आइआइएसइआर पुणे, जेएनसीएएसआर आदि संस्थानों में किए गए हैं। इनकी कुल कंप्यूटिंग क्षमता 17 पेटाफ्लॉप्स हो चुकी है। इनकी मदद से देश भर में अब तक लगभग 2600 शोधकर्ताओं ने लगभग 31 लाख कम्प्यूटेशनल कार्य सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। जीनोमिक्स और ड्रग डिस्कवरी के लिए प्लेटफॉर्म विकसित करने, शहरी पर्यावरणीय मुद्दों का अध्ययन करने, बाढ़ चेतावनी और भविष्यवाणी प्रणाली स्थापित करने तथा दूरसंचार नेटवर्क को बेहतर बनाने में इन सुपर कंप्यूटर का अभी तक व्यापक उपयोग हुआ है।

कोविड-19 सहित कई अहम विषयों पर अनुसंधान

हालांकि, आइआइएससी में पहले से ही सुपरकंप्यूटिंग की सुविधा उपलब्ध रही है। वर्ष 2015 में संस्थान ने 'सहस्र टीÓ की खरीद की थी और उसे स्थापित किया गया था। तब 'सहस्र टीÓ देश का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर था। आइआइएससी के छात्र इन सुविधाओं का उपयोग विभिन्न अनुसंधानों में करते रहे हैं। कोविड-19 और अन्य संक्रामक बीमारियों पर अनुसंधान से लेकर, वायरसों के प्रवेश एवं बाइंडिंग की मॉडलिंग, बैक्टीरिया एवं वायरस संक्रमण से पैदा रोगों में प्रोटीन के परस्पर व्यवहार का अध्ययन, जीवाणुरोधी एवं एंटीवायरल

गुणों वाले नए अणुओं की डिजाइनिंग आदि में सुपरकंप्यूटर का उपयोग हो रहा है। शोधकर्ता हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी के विकास, जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों का अध्ययन, विमानों के इंजन हाइपरसोनिक वाहनों की उड़ान के विश्लेषण करने तथा अन्य गतिविधियों में भी सुपर कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं। परम प्रवेग की स्थापना से इन अनुसंधानों में तेजी आने की उम्मीद है।