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धैर्य और संयम सफलता की पहली सीढ़ी-आचार्य देवेंद्रसागर

धर्मसभा का आयोजन

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धैर्य और संयम सफलता की पहली सीढ़ी-आचार्य देवेंद्रसागर

धैर्य और संयम सफलता की पहली सीढ़ी-आचार्य देवेंद्रसागर

बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने जयनगर में आयोजित धर्मसभा में कहा कि भौतिक सुख-सुविधाएं, महत्वाकांक्षाएं, तेजी से सब कुछ पाने की चाहत मन को असंयमित कर देती हैं, जिसके कारण मन में तनाव, अवसाद, संवेदनहीनता, दानवी प्रवृत्ति उपजती है फलस्वरूप हिंसा, भ्रष्टाचार, अत्याचार, उत्पीडऩ, घूसखोरी, नशे की लत जैसे परिणाम सामने आते हैं। काम, क्रोध, लोभ, ईष्र्या असंयम के जनक हैं व संयम के परम शत्रु हैं। इसी तरह नकारात्मक प्रतिस्पर्धा आग में घी का काम करती है। असल में सारे गुणों की डोर संयम से बंध्ी होती है। जब यह डोर टूटती है तो सारे गुण पतंग की भांति हिचकोले खाते हुए व्यक्तित्व से गुम होते प्रतीत होते हैं। चंद लम्हों के लिए असंयमित मन कभी भी ऐसे दुष्कर्म को अंजाम देता है कि पूर्व में किए सारे सद्कर्म उसकी बलि चढ़ जाते हैं। असंयम अनैतिकता का पाठ पढ़ाता है। अपराध की ओर बढ़ते कदम असंयम का नतीजा हैं। इन्द्रियों को वश में रखना, भावनाओं पर काबू पाना संयम को परिभाषित करता है। इंसान को इंसान बनाए रखने में यह मुख्य भूमिका अदा करता है। आचार्य ने कहा कि विवेक, सहनशीलता, सद्विचार, संवेदनशीलता, अनुशासन, संतोष संयम के आधार स्तंभ हैं। धैर्य और संयम सफलता की पहली सीढ़ी हैं। अच्छे संस्कार, शिक्षा, सत्संग आदि से विवेक को बल मिलता है। मेहनत, सेवाभाव, सादगी से सहनशीलता बढ़ती है। चिंतन, मंथन आदि से विचारों का शुद्धिकरण होता है। प्रभु की प्रार्थना, भक्ति से मनुष्य संवेदनशील हो जाता है। दृढ़ निश्चय से जिंदगी अनुशासित होती है।

टैंक में गिरने से डेढ़ वर्षीय बच्ची की मौत
मंड्या. नागमंगला तहसील डेढ वर्षीय बच्ची घर के आंगन में खेलते समय पानी के टैंक में गिरने से मौत हो गई। भीडगवेले ग्रामीण थाना पुलिस के अनुसार शिकारीपुरा गांव निवासी सजीत व उसकी पत्नी घर में मकर संक्रांति पर्व की तैयारी कर रही थी। पुत्री श्वेता शुक्रवार शाम घर के आंगन खेलते समय पानी के टैंक में गिर गई। श्वेता के आंगन में नजर नहीं आने पर परिवार जनों ने टैंक में झांका तो वह पानी में तैरती दिखी। इस पर उसे तुरंत बाहर निकाला और नागमंगला सरकारी अस्पताल लेकर गए। जहां डाक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।