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चुनाव आयोग की सख्ती से प्रचार कारोबार को 500 करोड़ का झटका

अकेले बेंगलूरु में करीब 300 डिजिटल प्रिंटिंग प्रेस हैं जबकि पूरे राज्य में 1000 से ज्यादा है।

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Publicity business loss 500 crore due to E. Commission's strictness

Publicity business loss 500 crore due to E. Commission's strictness

बेंगलूरु. चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों और सख्ती का सीधा असर राज्य में प्रचार उद्योग को प्रभावित कर रहा है। चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि चुनाव प्रचार के लिए प्लास्टिक फ्लैक्स, बैनर लगाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके अतिरिक्त अगर अन्य प्रकार के बैनरों और झंडों को सीमित संख्या में लगाने की अनुमति है। इन प्रतिबंधों और सख्ती का सीधा असर चुनाव प्रचार से जुड़े उद्योगों के कारोबार पड़ा है।
राजनीतिक दलों के नेताओं के अनुसार प्रचार सामग्री लगाने के लिए अनुमति लेना भी इतना सरल नहीं है। किसी प्रकार का बैनर या प्रचार सामग्री बिना अनुमति के लगाने पर सख्ती कार्रवाई को आमंत्रण देना है। इसी कारण राजनीतिक दल और उम्मीदवार बिना किसी तामझाम के चुनाव प्रचार कर रहे हैं। हालांकि आयोग की इस सख्ती का पर्यावरणविदों और विरासत संरक्षकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि अक्सर देखा जाता था कि चुनाव प्रचार के दौरान दीवारों से लेकर पेड़ों को तक को विरूपित कर दिया जाता था। यहां तक कि विरासत संरक्षण वाली इमारतें और स्मारक भी इससे अछूते नहीं रहते थे, इस बार आयोग की पहल से बड़ी राहत मिली है।

चुनाव आयोग द्वारा नियमों की इस सख्ती के कारण प्रचार सामग्री की कोई मांग नहीं है। प्रचार उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार इस बार राज्य में करीब 500 करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान हुआ है। अकेले बेंगलूरु में करीब 300 डिजिटल प्रिंटिंग प्रेस हैं जबकि पूरे राज्य में 1000 से ज्यादा है। उन्हें उम्मीद थी कि राजनीति दलों, उम्मीदवारों और उनके समर्थकों द्वारा बड़ी संख्या में प्रचार साम्रगी मुद्रित कराई जाएगी लेकिन इस बार प्रचार सामग्री पर निवेश न के बराबर हो रहा है। इसी प्रकार टेलर, बढ़ई, कट आउट बनाने वाले कारीगरों को भी निराशा हाथ लगी है।
विज्ञापनों पर आयोग की सख्त नजर
चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के विज्ञापनों की निगरानी को लेकर बेहद गंभीर है। आयोग ने जिला स्तरीय समितियों का गठन निगरानी और सूचना विभाग के अधीन किया है जिसके तहत जो भी विज्ञापन बनाना चाहते थे, उन्हें समिति से अनुमति लेनी होगी। यह समिति समाचार पत्रों में प्रकाशित पेड न्यूज पर भी नजर रख रही है। आयोग ने टीवी, प्रिंट मीडिय पर प्रसारित, प्रकाशित विज्ञापनों पर नजर रखने को एक विशेष निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया है जो दैनिक निगरानी कर रहा है।