
मैसूरु. नजरबाद स्थित आदिश्वर वाटिका में धर्मसभा में आचार्य विमलसागर सूरीश्वर ने कहा कि समाज में बहुधा लोग झूठी शान-शौकत, नाम, अभिमान और व्यक्तिगत हितों के लिए जीते हैं। ऐसे लोगों को धर्म, अध्यात्म, राष्ट्र या समाज के हितों की चिंता नहीं होती। वे अपने स्वार्थ को महत्वपूर्ण समझते हैं। उनके पास दूरगामी परिणामों का व्यापक चिंतन भी नहीं होता। यही कारण है कि हर काल में क्रांतिकारी एवं परिवर्तनकारी व्यक्तियों और विचारों का बहुत विरोध होता है। भगवान महावीर के जमाने में उनके 363 विरोधी संगठन थे।
जैनाचार्य ने कहा कि किसी जीवित मनुष्य की या उसके क्रांतिकारी विचारों की बहुत कीमत नहीं होती। लोग रूढ़ियों से जकड़े होते हैं। उनका मान सत्य को स्वीकार करने का साहस नहीं करता। दुनिया का यही स्थापित रिवाज है कि वो व्यक्ति के चले जाने के बाद उसके विचारों का मूल्यांकन करती है। क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी विचार कालजयी होते हैं, पर वे तत्कालीन समाज को पचते नहीं। इसलिए हर नई बात या नये व्यक्ति के संबंध में विरोध के सुर मुखर बनते हैं। झूठ से परे हटकर, स्वार्थ वृत्तियों को कम कर और वास्तविकताओं को स्वीकार कर जब सोचने-समझने का नजरिया बदलता है, तभी क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी विचारों से राष्ट्र एवं समाज लाभान्वित बनते हैं।इस अवसर पर कल्याण मित्र वर्षावास समिति के कांतिलाल चौहान और अशोक दांतेवाड़िया तथा आदिश्वर जैन संघ के रमेश श्रीश्रीमाल ने विचार व्यक्त किए और वर्षावास की रूपरेखा बताई। गणि पद्मविमलसागर ने गुरुवंदना, मंगलपाठ प्रदान किया।
Published on:
29 Jun 2024 02:27 pm
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