बैंगलोर

इतिहास रचा, अब भविष्य भी गढ़ेंगे शुभांशु शुक्ला

गगनयान मिशन ही नहीं, अंतरिक्ष स्टेशन की डिजाइन, लेआउट, ऑनबोर्ड सिस्टम आदि विकसित करने में मिलेगी मदद

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Jul 16, 2025

भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में शुभांशु शुक्ला का नाम भी उसी तरह लिया जाएगा, जिस तरह विश्व अंतरिक्ष इतिहास में नील आर्मस्ट्रांग का नाम है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला देश के पहले अंतरिक्षयात्री बने हैं। अंतरिक्ष स्टेशन पर उनके 18 दिनों का अनुभव मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और अंतत: चंद्रमा पर भारतीयों को भेजने के महात्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में काफी सहायक होगा।

इसरो अध्यक्ष वी.नारायणन के मुताबिक शुक्ला को आइएसएस पर भेजने की लागत 548 करोड़ आई, लेकिन उनके अनुभवों से मिले फायदे कई गुणा ज्यादा लाभकारी हैं। शुक्ला अब गगनयान मिशन के लिए काफी महत्वपूर्ण व्यक्ति होंगे। मानव अंतरिक्ष मिशनों के प्रशिक्षण, आत्मविश्वास निर्माण, परिचालन, प्रणालियों और प्रक्रियाओं की समझ में शुक्ला के अनुभव हर कदम पर लागू होंगे।

हर एक घंटे का अनुभव कीमती

इसरो अधिकारियों का कहना है कि शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा का सीधा लाभ भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान को मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने विश्वस्तरीय सुविधाओं में प्रशिक्षण हासिल किया, सूक्ष्म गुरुत्व में जीवन रक्षक प्रणालियों से परिचित हुए और वैसे अंतरिक्षयात्रियों के साथ परस्पर भरपूर संवाद किया जो कई अंतरिक्ष यात्राएं कर चुके हैं। उनके हर एक घंटे का अनुभव काफी कीमती है। गगनयान मिशन में आगे के सुधारों, बदलावों अथवा नई प्रणालियों की जरूरत के बारे में उनके सुझाव सीधे लागू होंगे।

भारतीय अंतरिक्षयात्रा की शुरुआत

स्पेस स्टेशन में काम करने और उसका अवलोकन करने से भारत को न सिर्फ गगनयान बल्कि अपने अंतरिक्ष स्टेशन की डिजाइन, लेआउट, ऑनबोर्ड सिस्टम की डिजाइन आदि विकसित करने में काफी मदद मिलेगी। बेशक भारतीय मिशन की अपनी डिजाइन और तकनीक होगी, लेकिन शुभांशु शुक्ला का अनुभव उसे बेहतर ढंग से विकसित करने में काफी मददगार साबित होगा। शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा से डेटा प्रबंधन, उच्च स्तरीय प्रणालियों और सुरक्षा उपायों की समझ भी बढ़ी है। इसरो ने भी इससे काफी कुछ सीखा है और शुभांशु शुक्ला के साथ-साथ प्रशांत बालाकृष्णन नायर को भी उन परिस्थितियों में रहने का अनुभव मिला है। निश्चित रूप से भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण को इससे नई दिशा मिलेगी, जैसा कि शुभांशु शुक्ला ने खुद कहा-‘यह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मेरी यात्रा की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है।’

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