
सरल व्यक्ति का आचरण व चिंतन एक समान
बेंगलूरु. नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जैन संघ राजाजीनगर में प्रवचन में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि स्वभाव का अर्थ है व्यक्ति का मूल गुण या प्रकृति। मन के मनन के अनुसार कर्म करने की आदत होने पर स्वभाव में सरलता आती है। मनन के विपरीत आचरण करने को स्वभाव की वक्रता कहते हैं। सरल स्वभाव में जैसे हम अंदर से हैं, वैसे ही बाहर से होते हैं, परंतु जब हम बनावटी व्यवहार या छल कपट करते हैं तो हमारे मन में कुछ होता है और वाणी व व्यवहार में उससे भिन्न कर्म दिखाई देता है।
उन्होंने कहा कि सरल स्वभाव मृदुता और सौहार्द्र से भरा होता है परंतु वक्रतापूर्ण स्वभाव विभिन्न प्रकार का कठोर, कुटिल, चपल आदि होता है। वक्र स्वभाव के व्यक्ति मन की बुराइयों को कर्म में न भी बदलें परंतु उनके मन में घृणा, हिंसा, भोग, भौतिकता, इष्र्या-द्वेष, असत्य, अन्याय, स्वार्थ और अज्ञान आदि के भाव रहते हैं। इसके विपरीत सरल स्वभाव का व्यक्ति शुद्ध भाव से अपने चिंतन के अनुसार ही आचरण करता है।
Published on:
04 Mar 2020 09:33 pm
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