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मधुमेह, हृदय रोग की तरह ‘खर्राटा’ भी बड़ी स्वास्थ्य समस्या

- सांस रुकने से दिल व दिमाग पर जोर- 90 फीसदी लोग इसे नहीं मानते समस्या

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मधुमेह, हृदय रोग की तरह 'खर्राटा' भी बड़ी स्वास्थ्य समस्या

- निखिल कुमार

बेंगलूरु. क्या सबूत है कि सोने के बाद मैं खर्राटे लेने लगता हूं? 90 फीसदी लोग कुछ ऐसे ही सवाल कर, खर्राटे लेने की शिकायत को सबूतों के आधार पर खारिज कर देते हैं। लेकिन जब आपके खर्राटे आपके आस-पास सोने वालों की परेशानी का सबब बनने लगें तो सावधान होना जरूरी है क्योंकि आपको खर्राटे की बीमारी हो सकती है। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे स्लीप एपनिया कहते है। विशेषज्ञों की माने तो मोटापे के साथ स्लीप एपनिया की बामारी भी बढ़ती जा रही है। चिंता की बात तो यह है कि लोगों के साथ चिकित्सक भी इस बीमारी को लेकर कोई खास जागरूकता नहीं हैं।

नली लगभग बंद हो जाती है

फॉर्टिस अस्पताल के पलमोनोलोजिस्ट डॉ. रविन्द्र मेहता का कहना है कि आम तौर पर मांसपेशियां हमारे सांस की नली को अपने अधीन में रखती हैं। सोने के बाद मांसपेशियां तनाव रहित होकर हमारी तरह ही रिलैक्सेशन मोड में चली जाती हैं। मांसपेशियों का कुछ हद तक रिलैक्स होना तो ठीक है लेकिन अगर ये अत्याधिक आराम की अवस्था में चली जाएं तो सांस की नली का रास्ता सिकुड़ जाता है और नली लगभग बंद हो जाती है। तब सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। कई बार तो सांस आती ही नहीं है। दस सेकंड या इससे से ज्यादा समय तक सांस रुकने को एपनिया कहते हैं। इस कारण दिमाग और दिल पर जोर पड़ता है। सोते समय इंसान बेचैन होकर अचानक नींद से जाग जाता है।

क्यों हो जाना चाहिए सावधान
हर खर्राटे लेने वाले को स्लीप एपनिया नहीं होता लेकिन खर्राटे के कारण नींद डिस्टर्ब हो तो सावधान हो जाएं। काफी अध्ययन के बाद पता चला है कि अगर स्लीप एपनिया का उचित समय पर इलाज न किया जाए ता सोते समय मौत भी हो सकती है। यह सांस, मस्तिष्क और दिल की बीमारियों के अलावा नपुंसकता, उच्च रक्तचाप या मधुमेह का कारण भी बन सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो लापरवाही के कारण दिमाग की नसे फट सकती है, फेफड़ा काम करना बंद कर सकता है या रोगी लकवा का भी शिकार हो सकता है।

इनका रखें ध्यान
वजन पर ध्यान दें, बार- बार नाक बंद हो तो चिकित्सक की सलाह लें, करवट लेकर सोएं, थॉयरायड की नियमित जांच कराएं, अस्थमा, मधुमेह या सीओपीडी की बीमारी हो तो इलाज और नियंत्रण में लापरवाही नहीं बरतें।
इलाज कराएं

खर्राटे लेने वाले को बताने पर भी विश्वास नहीं होता इसलिए परिजनों को चाहिए कि समय रहते वे चिकित्सों से परामर्श लें। खर्राटे और स्लीप पैटर्न की जांच से बीमारी या इसकी गंभीरता का पता लग जाता है। कुछ मरीजों में दवाई या सर्जरी से लाभ होता है। कुछ का इलाज मशीन से किया जाता है।

खर्राटे लेने के लक्षण
जोर से खर्राटे लेना (आवाज में उतार-चढ़ाव), स्वभाव मेें चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी, तनाव, सुबह उठने पर गला सूखा होना, सांस रुकने से अचानक रात में उठ जाना, घबराहट होना, दिन में थकान, दिल की धड़कनों में अनियमितता, थायरॉयड की समस्या, मुंह, जबड़े और गले की बनावट में किसी तरह का विकार, रोज खर्राटे आना, दिन में जरूरत से ज्यादा नींद आना।


हृदयाघात का खतरा
स्लीप एपनिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है। सांस रुकने के कारण शरीर के प्रमुख अंगों तक अपर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचती है। दिल की धड़कनें अनियमित होती हैं। मरीज को पहले से उच्च रक्तचाप, हृदय की बीमारी और मधुमेह हो तो समस्या और भी बढ़ जाती है। गंभीर स्लीप एपनिया वाले मरीजों मेें दिल की विफलता, कोरोनरी धमनी की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। दिल की धड़कन बार-बार अनियमित होने से हृदयाघात मौत का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली जरूरी है।
- डॉ. सत्यनारायण मैसूर, पल्मोनोलॉजिस्ट, मणिपाल अस्पताल