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पालिका और सरकार की गफलत से सफाई कर्मचारी ने आत्महत्या की

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य ने उठाए सवालकहा, ना वेतन के लिए बैंक खाते खुले ना ही 6 माह से वेतन मिला

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पालिका और सरकार की गफलत से सफाई कर्मचारी ने आत्महत्या की

बेंगलूरु. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य जगदीश हीरेमनी ने कहा कि बृहद बेंगलूरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) और सरकार की गफलत के कारण सफाई कर्मचारी सुब्रमणि ने आत्महत्या की। उन्होंने गुरुवार को वैयालिकावल के मुनेश्वर ब्लॉक में सुब्रमणि के निवास पर जाकर परिवार के सदस्यों को दिलासा दी और केंद्र सरकार से मुआवजा तथा आवास दिलाने का आश्वासन दिया।

उन्होंने बताया कि सुब्रमणि की पत्नी कविता को बीबीएमपी के स्कूल या कॉलेज में नौकरी देने के निर्देश दिए हैं। एक माह में उसे सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके अलावा शीघ्र ही एक घर भी दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आयोग का सदस्य बनने के बाद सात माह में उन्होंने बीबीएमपी के अधिकारियों के साथ दो बार उच्च स्तरीय बैठक कर सफाई कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने के निर्देश दिए थे। शहरी विकास विभाग के अधिकारियों के साथ भी बैठक की थी। उसमें प्रदेश के सभी सफाई कर्मचारियों को वेतनों में वृद्धि करने के साथ ही उनके नाम से बैंकों खाते बनाने, बीमा और भविष्य निधि की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

उन्होंने कहा कि आज तक एक भी सफाई कर्मचारी को बंैक खाता भी नहीं खोला गया। बीबीएमपी के सफाई कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं दिया गया। अधिकारियों को यह भी जानकारी नहीं है कि पालिका के कितने सफाई कर्मचारी हैं। इससे स्पष्ट है कि यहां कैसे अधिकारी हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को एक माह में सफाई कर्मचारियों की सही संख्या और अन्य विवरण संग्रहित करने के अलावा बैंक खाते खुलवाने के निर्देश दिए हैं।

एक माह बाद वे बेंगलूरु में फिर बैठक करेंगे। काम नहीं करने वाले अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाएगा। यह बहुत ही शर्म की बात है कि सफाई कर्मचारियों को वेतन देने के लिए रिश्वत और कमीशन देना पड़ता है। ऐसी स्थिति सफाई कर्मचारी परेशान और अवसादग्रस्त हो रहे हैं।

महापौर का घेराव
महापौर संपतराज के पहुंचने पर सफाई कर्मचारियों ने उनका विरोध किया और घेराव कर लौटने को कहा। सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें कई माह से वेतन नहीं मिलने के लिए महापौर भी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कई बार महापौर को ज्ञापन देकर शिकायत की और समय पर वेतन जारी करने की मांग की थी। महौपर ने केवल झूठे आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं किया। बाद में पुलिस ने हस्तक्षेप कर महापौर को आगे जाने में सहायता की।