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ध्रुपद, भरतनाट्यम और बांसुरी की जुगलबंदी में ढलेगा संत जनाबाई का जीवन वृत्त

सुनाद का संगीत कार्यक्रम ‘नामयाची जनी’ 15 को

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बेंगलूरु. उद्यान नगरी बेंगलूरु के संगीत रसिकों को संगीत, नृत्य एवं वक्तव्य के जरिए तेरहवीं शताब्दी की प्रसिद्ध संत जनाबाई का जीवन वृत्त और दर्शन को समझने का मौका मिलेगा। अवसर होगा भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित इस शहर की प्रतिष्ठित संस्था सुनाद की ओर से कार्यक्रम नामयाची जनी का।

सुनाद की प्रमुख एवं ध्रुपद गायिका तारा कीनी ने बताया कि यह कार्यक्रम बुधवार को डोमलूर स्थित बेंगलूरु इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होगा। इसमें ध्रुवपद-भरतनाट्यम-बांसुरी की जुगलबंदी का अनूठा प्रयोग होगा।

कीनी ने बताया कि इस विशिष्ट कार्यक्रम की अवधारणा और संगीत निर्देशन उभरती शास्त्रीय गायिका एवं संगीत शोधार्थी जाह्नवी पाणसलकर का है।

कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकार युवा होंगे। इनमें अधिकांश भोपाल के ध्रुपद पुरोधा और विश्व विख्यात ध्रुपद गायक पद्मश्री उमाकांत गुंदेचा के शिष्य हैं। कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों में जाह्नवी पाणसलकर व धानी गुंदेचा के ध्रुपद गायन के साथ नविया नटराजन के भरतनाट्यम और रघुनंदन रामकृष्णन के बांसुरी वादन की जुगलबंदी होगी।

धानी गुंदेचा पद्मश्री उमाकांत गुंदेचा की पुत्री हैं। पखावज पर पुणे के युवा कलाकार ज्ञानेश्वर देशमुख, हृदयेश चोपड़ा और नट्टूवाद्यम पर सूर्याराव संगत करेंगे।

पाणसलकर ने बताया कि ध्रुपद गायन-भरतनाट्यम-बांसुरी वादन की जुगलबंदी के बाद महाराष्ट्र में तेरहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध संत नामदेव की शिष्या संत जनाबाई की अभंग रचनाओं, उनके दर्शन, जीवन वृत्त और भारतीय शास्त्रीय संगीत से उनके दर्शन के जुड़ाव पर प्रतिभा पंत और चिंतु परम का व्याख्यान होगा। तारा कीनी ने बताया कि 15 मार्च को शाम 7 से होने वाले इस कार्यक्रम में प्रवेश नि:शुल्क है।