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कर्मों से तय होती है जीवन की दशा: आचार्य देवेंद्रसागर

जयनगर में प्रवचन

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बेंगलूरु. हमारे पास कितनी ही अच्छी बातें क्यों न हों, लेकिन हमारी पहचान सिर्फ हमारे अच्छे कर्मों से ही होती है, वरना संसार में हमारे नाम के तो जाने कितने इंसान हैं। वाणी और कर्म ही श्रेष्ठ और निकृष्ट में अंतर बताते हैं। वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती हैं।

यह विचार जयनगर के राजस्थान जैन संघ में प्रवचन में आचार्य देवेंद्रसागर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महान ज्ञानी, पंडित और बुद्धिमान होने पर भी रावण को सीता-हरण के एक ही कर्म की भारी कीमत चुकानी पड़ी। यानी जब कर्म अच्छे नहीं होते हैं, तो सारे गुणों की पहचान छिप जाती है। जैसा हमारा व्यवहार होता है और जैसे हम कर्म करते हैं उससे ही लोग हमारे प्रति अच्छी-बुरी धारणा बनाते हैं।

कर्म और व्यवहार दोनों ही विचारों से प्रभावित होते हैं। विचारों को जितना सकारात्मक और मजबूत बना लेते हैं उतना ही हमारा दृष्टिकोण और व्यवहार सकारात्मक होता है और वैसे ही हम कर्म करते हैं। हमारे कर्मों से ही हमारा जीवन और उसकी दशा और दिशा बनती है।

दिव्यांग बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए दिए कोट, कंबल
बेंगलूरु. समाजोत्थान के लिए सक्रिय मातृछाया जैन महिला संगठन की ओर से राजस्थान के जालोर जिले के आहोर में आचार्य जयानंद सूरीश्वर एंव साधु-साध्वीवृंद के दर्शन किए।

संगठन की ओर से यहां पर स्थित मंदबुद्धि बच्चों केआश्रम जागृति जनसेवा संस्थान में मंदबुद्धि बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए स्वेटर,कोट, जैकेट, कंबल,रज़ाई आदि प्रदान की गई। सेवा में सहभागी निर्मला दांतेवाडिया, पवन राठौड़, लता दांतेवाडिया, ललिता पी नागोरी, त्रिशला कोठारी एंव हैदराबाद हेल्पिंग हैंड्स से पुष्पा बागरेचा आदि उपस्थित रहीं।