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ज्ञान पंचमी के दिन लिखा गया था पहला जैन धर्मग्रंथ: साध्वी तत्वत्रयाश्री

राजाजीनगर में प्रवचन

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बेंगलूरु. नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जैन मंदिर, राजाजीनगर में साध्वी तत्वत्रयाश्री, साध्वी गोयमरत्नाश्री व साध्वी परमप्रज्ञाश्री की पावनतम निश्रा में ज्ञान पंचमी के पावन दिवस पर श्रुत देवी सरस्वती माता का महापूजन किया गया। साध्वी तत्वत्रयाश्री ने कहा कि सरस्वती को ज्ञान और ज्ञान के सर्वोच्च देवता के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए जिनवाणी मां को सरस्वती माता के रूप में पूजा जाता है।

जैन समाज में इस दिन को विशेष महत्वपूर्ण भी बताया गया है। इसी दिन पहली बार जैन धर्मग्रंथ लिखा गया था। भगवान महावीर के ज्ञान को अनेक आचार्यों ने संजोया जिसे एक ग्रंथ रचकर ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को प्रस्तुत किया था। धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत एवं भूतबलि की सहायता से षटखंडागम नामक शास्त्र की रचना की, इसमें जैन धर्म से जुड़े ज्ञान की जानकारियां प्राप्त होती हैं।

इस पर्व के दिन जैन धर्मावलंबी प्राचीन मूल शास्त्रों के प्रति अपना स्नेह और सम्मान प्रकट करते हैं। इसलिए ज्ञान की पूजा सदैव करनी चाहिए।
पूजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। पूजन का पूरा विधान अनिल गुरु ने करवाया एवं संगीत की प्रस्तुति विजेश भाई एंड पार्टी ने दी।