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व्यवस्थाओं में बदलाव से उज्जवल होगा नई पीढ़ी का भविष्य

भौतिक उपलब्धियों से हमारी सफलता सिद्ध नहीं होगी। अपनी नई पीढ़ी को धर्म से जोड़कर ही हम सफल होने का दम भर सकते हैं। किशोर व युवावर्ग को धर्म से जोड़ना आधुनिक युग की सबसे बड़ी चुनौती है। यदि हम अपने किशोर व युवावर्ग को धर्म और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में कामयाब […]

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भौतिक उपलब्धियों से हमारी सफलता सिद्ध नहीं होगी। अपनी नई पीढ़ी को धर्म से जोड़कर ही हम सफल होने का दम भर सकते हैं। किशोर व युवावर्ग को धर्म से जोड़ना आधुनिक युग की सबसे बड़ी चुनौती है। यदि हम अपने किशोर व युवावर्ग को धर्म और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में कामयाब नहीं हुए तो ये भौतिक उपलब्धियां निरर्थक सिद्ध हो जाएगी।

यह बातें श्रीरामपुरम के श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ और वर्धमान स्थानकवासी संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एकता सभा में आचार्य विमल सागर सूरीश्वर ने कही। आचार्य ने कहा कि नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर रील बनाने और मौज-मस्ती में व्यस्त हैं। अधिकांश को इस बात की चिंता ही नहीं है कि उनका भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। इसके लिए दीर्घकालीन समुचित योजना बनाने की आवश्यकता है। धन, सुख-सुविधाएं और डिग्रियां सफलता का मापदंड नहीं हो सकते।आचार्य ने कहा कि समाज की सोच और व्यवस्थाओं में गहरे परिवर्तन की सख्त आवश्यकता है। बड़े-बुजुर्ग और अभिभावक बदलेंगे तथा सामाजिक व्यवस्थाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाए जाएंगे, तभी समाज व उसकी नई पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल हो सकेगा। धर्मसभा में जीतो और जैन युवा संगठन के पदाधिकारियों ने आचार्य विमल सागर सूरीश्वर और गणि पद्मविमल सागर से आग्रह किया कि वे 9 अप्रेल को विश्व नवकार महामंत्र दिवस और 10 अप्रैल को भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के अवसर पर अपना प्रमुख सान्निध्य प्रदान करें। आचार्य ने दोनों आयोजनों में निश्रा देने की स्वीकृति प्रदान की।