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जो बुद्धि तत्वों को जानती है वह सात्विक बुद्धि-मणिप्रभा

धर्मसभा का आयोजन

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जो बुद्धि तत्वों को जानती है वह सात्विक बुद्धि-मणिप्रभा

जो बुद्धि तत्वों को जानती है वह सात्विक बुद्धि-मणिप्रभा

बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गंगानगर (आरटी नगर) में विराजित साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि नंदी सूत्र में 5 ज्ञान के वर्णन हैं जिसमें मति ज्ञान के भेद बताए गए हैं। औपपतिक ज्ञान उन्ही भेदों में से एक है जिसके बारे में कहा गया है कि मनुष्य की बुद्धि कैसी होनी चाहिए। जो बुद्धि तत्वों को जानती है वह सात्विक बुद्धि है। सद्बुद्धि में यह अंतर निहित है। कैसी भी परिस्थिति हो बुद्धि को सतत्वों से या सत्यता से भलाई में स्थिर रखना चाहिए। सत्तत्वों से बुद्धि के स्थिर रहने से मनुष्य पापकर्म, अधर्म और दुष्कर्मों से बच जाता है। जो भी दुष्कृत्यों से बच जाता है वह इस भव में अपनी बुद्धि के द्वारा जीवन का सदनिर्माण कर सकता है। साध्वी आस्था ने कहा कि मनुष्य को अपनी आजीविका के लिए जो धन चाहिए वह न्यायपूर्ण रूप से उपार्जित किया जाना चाहिए। न्याय के द्वारा उपार्जित धन ही बढ़ोतरी एवं बरकत करता है। अन्याय के द्वारा एकत्र किया हुआ धन जीवन मे सदैव कलह, संकट एवम वैमनस्यता ही पैदा करता है। सर्वप्रथम तो अन्याय के द्वारा धन जमा हो ही नही सकता, फिर भी अगर किसी रूप से कर भी ले तो वह धन किसी को भी सुख चैन नही दे सकता। अनेकों से कहते सुना है कि-महाराज धन तो है पर सुख नही है। कभी कचहरी, कभी अस्पताल, आदि चक्करों में लगे रहते हैं। अत: धन संचय सदैव न्यायसंगत होना अति अनिवार्य है।