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नई शिक्षा नीति से विश्व गुरु बनेगा भारत

- शोध और नवाचार को मिले बढ़ावा।

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मेंगलूरु. केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखिरियाल निशंक (Union Minister for Education Dr Ramesh Pokhriyal Nishank ) ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 एक भारतीय-केंद्रित नीति थी जिसका उद्देश्य ज्ञान, अनुसंधान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्राथमिकता देना था। एनइपी भारत को विश्व गुरु की उपाधि हासिल (The NEP 2020 will help India to regain the title of ‘Vishwa Guru) करने सहित प्राचीन तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों के गौरव को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना से शोध और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों से सीखने की जरूरत
सुरतकल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कर्नाटक (एनआइटीके) के 18वें दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे डॉ. पोखरियाल ने कहा कि यह एक समावेशी नीति थी जो राष्ट्र निर्माण में मदद करेगी। मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं की वकालत करना भारतीय भाषाओं को मजबूत करना था। जो लोग तर्क देते हैं कि अंग्रेजी नहीं सीखने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगति नहीं कर सकते हैं उन्हें मातृ भाषाओं में शिक्षा देने वाले जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों से सीखने की जरूरत है। उन्होंने छात्रों से जीवन में चुनौतियों का सामना करने और देश की प्रगति में योगदान देने का आग्रह किया।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि भारत की सफलता के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी और भविष्य की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें प्रौद्योगिकी अनुयायियों के बजाय प्रौद्योगिकी नेता बनना चाहिए।

उन्होंने शैक्षिक संस्थानों से बुनियादी और अप्लाइड विज्ञान अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। कोविड महामारी के शुरुआती दिनों के दौरान, देश वेंटिलेटर और पीपीई किट का निर्माण नहीं कर रहा था। उन्नत तकनीक के कारण चार महीनों के भीतर देश के पास खुद के वेंटिलेटर और पीपीइ किट होंगे। भाविष्य की तकनीकों पर शोध के लिए डीआरडीओ ने संस्थानों में 1000 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

एनआइटीके (national institute of technology karnataka) के निदेशक प्रो. उमामहेश्वर राव ने बताया कि डीआरडीओ अकादमी कार्यक्रम के तहत 10 शोधार्थी डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में काम करेंगे।