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शांति की चाबी हैं सत्य, अहिंसा, त्याग

भौतिक पदार्थों के प्रति असीमित आसक्ति ही दु:ख का कारण है। अहिंसा सिद्धांत से ही विश्व में शांति स्थापित हो सकती है।

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Truth and non-violence are the boon for Peace

जैन तीर्थंकरों ने विश्व को सत्य, अहिंसा तथा त्याग का संदेश दिया है। यही शांति की वास्तविक चाबी है। कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री उमाश्री ने यह बात कही। भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि भौतिक पदार्थों के प्रति असीमित आसक्ति ही दु:ख का कारण है। ऐसी स्थिति में जैन तीर्थंकरों की अपरिग्रह का संदेश अधिक प्रासंगिक है। अहिंसा सिद्धांत से ही विश्व में शांति स्थापित हो सकती है। तीर्थंकर परमात्माओं के वैश्विक तथा कालजयी संदेश केवल जैन समुदाय तक ही सीमित नहीं हैं। आज जहां विश्व परस्पर द्वेष तथा संघर्ष केकारण अशांत है, हिंसा तथा क्रोध के कारण मानवता शर्मसार हो रही है। ऐसी स्थिति में जैन सिद्धांतों की प्रासंगकिता और बढ़ गई है।

देश-विदेश से आ रहे हजारों श्रद्धालु
महामस्तकाभिषेक महोत्सव में भाग लेने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला में आ रहे हैं। ऐसे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसके हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। यहां पर कई जगह पर अन्नदान की व्यवस्था है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान बाहुबली के भक्ति गीतों के साथ-साथ प्रो कृष्णेगौड़ा तथा मैसूरु के विजय प्रकाश ने हास्य विनोद के माध्यम से दर्शकों की तालियां बटोरीं।

24 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का अभिषेक के साथ किया गया पूजन
यहां पर भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक के उपलक्ष में चारुकीर्ति भट्टारक की सानिध्यमें गुरुवार को 6 0 से अधिक विधिकारकों के नेतृत्व में संस्कार मंडप में पंचकल्याणक महोत्सव के विभिन्न अनुष्ठान हुए। सुबह धर्मध्वज की प्रतिष्ठापना के साथ विधि-विधानों का आगाज किया गया। कलश स्थापना, शुद्धि तथा विधि वेदिका की स्थापना, यागमंडल आराधना, यज्ञ कुंडों की स्थापना, शक्तिपीठ की स्थापना, इंद्र की स्थापना, शंखणी का बंधन, होम पूजा समेत कई धार्मिक अनुष्ठान श्रद्धा एवं भक्ति के साथ संपन्न हुए। इन अनुष्ठानों के पश्चात 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का अभिषेक के साथ पूजन किया गया। यह तीर्थंकर अभिषेक अनुष्ठान हर दिन चलेगा।