
बांसवाड़ा. करीब 30 साल से सरकारी फाइलों में बंद अनास बांध का जिन्न राज्य सरकार की ओर से पेश किए बजट में बाहर आया तो भाजपा और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस ने अनास बांध बनाने की घोषणा का विरोध करने का ऐलान कर दिया है तो दूसरी ओर भाजपा इसके बनने से होने वाले फायदों के बारे में लोगों के मध्य जाने का मानस बनाया है।
राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ की लागत से अनास पर बांध बनाने की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ ही कांगे्रस ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस का तर्क है कि इससे 13516 हैक्टेयर जमीन डूब में आएगी और दर्जनों गांव के ग्रामीणों को विस्थापित होना पड़ेगा। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि इसका लाभ गुजरात सरकार को अधिक मिलेगा, बावजूद राज्य सरकार यहां के लोगों को विस्थापित करना चाहती है। बागीदौरा विधायक महेन्द्रजीतसिंह मालवीया ने इसको किसी भी सूरत में नहीं बनने को लेकर 16 फरवरी को हैजामाल में आंदोलन करने की घोषणा की है एवं ऑडियो संदेश के माध्यम से गांव-गांव से लोगों को एकत्र करने का आह्वान किया है।
नहीं होने देंगे विस्थापित
इधर भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है। पार्टी का कहना है कि इससे किसी भी व्यक्ति को विस्थापित होने का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। मंगलवार को पंचायतराज राज्य मंत्री ने बताया कि बांध का भराव क्षेत्र में बहुत सीमित होगा एवं इससे बहुत कम संख्या में लोग विस्थापित होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक बांध निर्माण के लिए जब तक सर्वे नहीं होगा तब तक इस बारे में विरोध नहीं करना चाहिए। रावत बुधवार को सज्जनगढ़ में कार्यकर्ता सम्मेलन में अनास बांध को लेकर फैलाई जा रही अफवाह के बारे में लोगों को जागरुक करेंगे।
चुनावों तक चलेगी राजनीति
बांध बनेगा या नहीं बनेगा, यह तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है, लेकिन विधानसभा चुनावों तक इस पर जमकर राजनीति होगी, यह दोनों ही दलों का रुख देखकर देखा जा सकता है। अनास बांध की राजनीति का परिक्षेत्र कुशलगढ़ एवं बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
अव्यवहारिक योजना है यह
राजस्थान ट्रायबल एरिया विकास समिति अध्यक्ष गोपीराम अग्रवाल ने बताया कि मात्र 2 हजार हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करने के लिए इस योजना पर 2607 करोड़ रुपए खर्च करना निरर्थक एवं अव्यवहारिक है। प्रस्तावित बांध से जमीन डूब में जाने की आशंका तो निर्मूल है, लेकिन योजना को केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिलना भी मुश्किल है। उन्होंने इसे देखते हुए योजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से वापस लेते हुए प्रस्तावों को पेयजल योजना में शामिल करने की मांग की है।
Published on:
14 Feb 2018 12:02 am
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