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बांसवाड़ा : वृक्षों की सेवा और पूजा को माना धर्म, डा. रागिनी शाह को मिलेगा अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार

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banswara

बांसवाड़ा : वृक्षों की सेवा और पूजा को माना धर्म, डा. रागिनी शाह को मिलेगा अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार

बांसवाड़ा. वन विकास, संरक्षण व वन सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। वर्ष 2017 के लिए यह राज्य स्तरीय सम्मान बांसवाड़ा की डा. रागिनी शाह को दिया जाएगा। उन्हें यह पुरस्कार वन मंत्री के आतिथ्य में जामड़ोली, जयपुर में 28 अगस्त को राज्य स्तरीय वन महोत्सव में प्रदान किया जाएगा। बांसवाड़ा में वर्षों से पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण की दिशा में कार्य रही डा. शाह को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद से पर्यावरण प्रेमियों में हर्ष की लहर छा गई है। उप वन संरक्षक एसआर जाट ने बताया कि डा रागिनी को पुरस्कार दिए जाने का अनुमोदन राज्य स्तरीय समिति ने किया।

जहां नियुक्ति, वहां सेवा
डा. शाह पेशे से चिकित्सक हैं। अपनी राजकीय सेवा के दौरान जहां उनकी नियुक्ति हुई, वहां उन्होंने पर्यावरण संरक्षण व संवद्र्धन की दिशा में कई कदम उठाए। स्वयं पौधरोपण करने के साथ ही ट्री गार्ड लगवाने और नियमित रूप से पौधों की सिंचाई के लिए पानी के टैंकर आदि की व्यवस्था भी कराई। वे जिले में कई वर्षों से हजारों पौधों का रोपण कर पल्लवित कर चुकी डा. शाह ने वन विभाग, प्रशासन और पुलिस के सहयोग से जिले के असिंचित क्षेत्र में गिने जाने वाले बंजर भूमि वाले गांवों में हरियाली का मंजर ला दिया है।

आमदनी पौधरोपण में खर्च
डा. शाह अपने वेतन की अधिकांश राशि पौधरोपण और संवद्र्धन-संरक्षण में खर्च करती हैं। वे बताती हैं कि इस काम की प्रेरणा उन्हें अपने गुरु आत्मानंद कोबा, अहमदाबाद से मिली। वर्ष 2009 से उन्होंने पौधरोपण का अभियान शुरू किया। पौधरोपण के साथ ही उन्होंने ग्रामीणोंं को मजदूरी उपलब्ध कराकर आर्थिक स्तर ऊंचा करने का भी प्रयास किया। डा. रागिनी अब वृक्षकुंजों की ‘रागिनी’ बन चुकी हैं।

इनका कहना है
डा. शाह इस पुरस्कार की हकदार थी। उनका कार्य वन विभाग के लिए प्रेरणादयी है।
राहुल भटनागर, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), उदयपुर