
जुगल भट्ट
Parshuram Jayanti 2024 : ठीकरिया. बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर लीमथान में भगवान श्री परशुराम का प्राचीन मन्दिर है। यह करीब एक हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान परशुराम के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मूर्तिकार बताते हैं कि भगवान परशुराम की यह दिव्य प्रतिमा नेपाल स्थित परशुराम मंदिर में स्थापित प्रतिमा के समरूप है।
इसमें भगवान परशुराम ने अपने दाएं हाथ में फरसा लिया हुआ है, जो परशु महादेव ने उन्हें दिया था। मंदिर निर्माण परमार वंश के राजाओं के शासनकाल में हुआ बताया जाता है। मंदिर के पास स्थित शिलालेख की लिपि पूरी तरह से खुर्द होने से स्पष्ट संवत् एवं निर्माणकर्ता के नाम उल्लेख की जानकारी नहीं हो पाती है। मंदिर को लेकर कई किवंदितयां हैं। कुछ लोग इस स्थान को महाभारतकाल से भी जोड़ कर देखते हैं।
लीमथान के बुजुर्ग डॉ. महेंद्रपाल शर्मा ने बताया कि प्राचीन मंदिरों की तरह इस मंदिर की भी नींव नहीं है। पत्थरों पर की गई नक्काशी अरथूना में खुदाई में मिले मंदिरों के समान ही है। इससे प्रतीत होता है कि ये मंदिर भी एक ही कालखण्ड में बने। कुछ लोगों का कहना है कि यह मंदिर संवत् 1100 में बनाया, लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं है। परशुराम मंदिर का जीर्णोद्धार 1975 में लीमथान, नवागांव, ठीकरिया व बांसवाड़ा के ब्राह्मण समाज ने भामाशाहों के सहयोग से करवाया। उस दौरान 11 कुण्डीय यज्ञ हुआ था।
Rajasthan Samachar : विशाल पत्थरों पर पांडव और हाथियों के पदचिह्न
भक्तों का मानना है कि लीमथान क्षेत्र महाभारतकाल में पांडवों के अज्ञातवास के समय में शरणस्थली रहा। यहीं से पांडवों ने करीब 12 किमी दूर घोटिया आंबा में जाकर अज्ञातवास बिताया था। यहां लीमथान गांव की पहाडिय़ों के विशाल पत्थरों पर पांडव, और हाथियों के पद चिह्न हैं। यहां भीष्म और कर्ण के गुरु भगवान परशुराम और पांडवों के सहयोगी और अर्जुन के सारथी रहे श्रीकृष्ण का मंदिर है।
Rajasthan News : परशुराम द्वादर्शी पर उपवास रखने से संतान की प्राप्ति
त्रिवेदी ने बताया कि वैशाख शुक्ल द्वादशी को भगवान परशुराम द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इसका पुराणों में जिक्र भी है। इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए उपवास रखती हैं और तन-मन से भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करती हैं।
आज से होगा पंचकुंडीय यज्ञ
श्री परशुराम सेवा संस्थान के संयोजक महेश जोशी ने बताया कि विप्र फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष योगेश जोशी के नेतृत्व में परशुराम मन्दिर परिसर में 9 मई को श्री विष्णु महायज्ञ के लिए यजमानों का हेमाद्रि स्नान, सुंडल नदी लीमथान पर 10 व 11 मई को भगवान परशुरामजी के प्राकट्य उत्सव के उपलक्ष्य में पंचकुंडीय श्री विष्णु महायज्ञ, 12 मई को आद्य गुरु शंकराचार्य जयंती को श्री विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी। मुख्य आचार्य निकुंजमोहन पंड्या होंगे।
Banswara News :लीमथान में हुआ था कृष्ण और परशुराम का मिलन!
ठीकरिया निवासी नरेश त्रिवेदी ने बताया कि उनके पिता शांतिलाल भगवान परशुराम के भक्त थे। छोटी उम्र से ही मंदिर जाकर दर्शन करते थे। उन्होंने बताया था कि पूर्वजों के अनुसार किंवदंती है कि त्रिपुरा रहस्य के अनुसार पृथ्वी को 21 बार क्षत्रियविहीन करने के बाद परशुरामजी ने पश्चाताप के लिए तपस्या की। मां त्रिपुरा सुंदरी की 12 वर्ष तक आराधना के लिए उन्होंने जंगल और शांत वातावरण देख लीमथान को अपनी तपस्या के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समझा। परशुरामजी का मंदिर महाभारतकाल में भगवान परशुराम तथा श्री कृष्ण के मध्य हुए संवाद का साक्षी है। पूरे भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां सामने श्रीकृष्ण मंदिर है।
Published on:
10 May 2024 05:39 pm
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