Rajasthan Chunav: ये वाकई बड़ा रोचक है कि दो समधी अलग-अलग दलों व अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। यानी दोनों चुनावी जंग जीत अपना वर्चस्व कायम करने की चुनावी दौड़ में उतर चुके हैं। बात बांसवाड़ा के बागीदौरा से महेन्द्रजीतसिंह मालवीया व बांसवाड़ा से धनसिंह रावत की है।
ये वाकई बड़ा रोचक है कि दो समधी अलग-अलग दलों व अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। यानी दोनों चुनावी जंग जीत अपना वर्चस्व कायम करने की चुनावी दौड़ में उतर चुके हैं। बात बांसवाड़ा के बागीदौरा से महेन्द्रजीतसिंह मालवीया व बांसवाड़ा से धनसिंह रावत की है। कांग्रेस के मालवीया प्रदेश में कद्दावर नेता माने जाते हैं। उनके कंधे पर खुद की जीत हासिल करने के साथ ही मेवाड़- वागड़ की कांग्रेस सीटों को विजय दिलाने का जिम्मा भी हैं, वहीं भाजपा के रावत पिछले चुनावों में टिकट नहीं मिलने से निर्दलीय लड़ हारने का लगा दाग इस बार धोकर अपना कद पार्टी में बढ़ाना चाहते हैं।
मालवीया के बेटे व रावत की बेटी का करीब डेढ वर्ष पूर्व विवाह हुआ है, हालांकि ये दोनों राजनीति से दूर हैं। मालवीया व रावत दोनों समधी हैं। यानी एक ही परिवार के सदस्य, लेकिन दोनों पर खुद की जीत के साथ ही अपनी पार्टी को भी आगे बढ़ाने का भार भी है। रावत के सामने बड़ी चुनौती इसलिए है, क्योंकि उनके सामने जनजाति मंत्री कांग्रेस के अर्जुन बामनिया तगड़े प्रतिद्वंद्वीं हैं।
रावत अपने क्षेत्र तक सीमित हैं। रावत अपनी जीत का ही लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जबकि मालवीया प्रदेश में विभिन्न जगहों पर अन्य प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभाएं भी संबोधित कर रहे हैं। स्टार प्रचारकों में शुमार मालवीया राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं में उनके साथ भी कदमताल कर रहे हैं।
टिकट हासिल करने में सफल
रावत : एक बार सांसद व विधायक बनने के साथ ही राज्यमंत्री बनाया गया था। पिछले चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय लड़कर असफल रहे थे, तो इस बार टिकट हासिल करने में सफल रहे हैं।
राजनीति के अनुभवी
मालवीया: हाल में मालवीया को कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया है। वे अब तक तीन बार विधायक के कार्यकाल में दो बार मंत्री रहे हैं, तो पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं।