
बांसवाड़ा : नेटबंदी से मोबाइल कंपनियों की बल्ले-बल्ले, लाखों जीबी डाटा बचा, उपभोक्ताओं को हुआ नुकसान
बांसवाड़ा. राम जन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय शनिवार को आया। सांप्रदायिक सौंहार्द बनाए रखने के चलते सरकार ने नेटबंदी कर दी। यह निर्णय सरकार का सौंहार्द को बनाए रखने के लिए जरूरी था, परंतु नेटबंदी से विभिन्न मोबाइल कंपनियों को लाखों जीबी डाटा बचने का फायदा हुआ, वहीं उपभोक्ताओं का इसका नुकसान हुआ है। शनिवार को कंपनियों ने दोपहर में और एकाध ने शाम को इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी, परंतु इसने उपभोक्ताओं को जरूर झटका दिया। मोबाइल कंपनियों की ओर से प्रतिदिन दिए जाने वाले डेटा मासिक पैकेज के आधार पर होता है। ऐसे में मंथली सर्किल माहवार होता है। जो डेटा लेप्स होता है, वह दुबारा ग्राहक को नहीं दिया जाता है। ऐसे में लाखों जीबी डेटा का नुकसान ग्राहकों को हुआ है, वहीं कंपनियों के पास बचा रहा, यानि की खर्च नहीं हुआ है। पल-पल अपडेट लेना, हर मिनट में मोबाइल चेक करना, कहीं किसी का मैसेज तो नहीं आया है, सुबह उठते ही स्टेटस और मोबाइल देखना, दिन में खाली बैठे हो, तब मोबाइल से समाचार देखना आदि जरूरत के हिसाब से हर व्यक्ति अपने स्मार्ट और इंटरनेट का उपयोग करता है, लेकिन डेढ़़ दिन से यह सब इंटरनेट बंद होने के साथ थम सा गया है। उपभोक्ताओं को सिर्फ कॉल की सुविधा मिल रही है। जिले में करीब तीन लाख से ज्यादा मोबाइल है, लेकिन 70 हजार से ज्यादा मोबाइल स्मार्ट फोन हैं जो नियमित रूप से इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यदि प्रतिदिन एक जीबी डेट का भी उपयोग माने तो एक दिन में 70 हजार जीबी डेटा का उपयोग होता है। हालांकि यह औसत आंकड़ा है, यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है। नेटबंदी के दो पहलू - 1. सकारात्मक कदम : नेटबंदी का यह कदम सौहार्द की भावना को लेकर सकारात्मक कदम है। नेट बंद होने से अनर्गल मैसेज, भडक़ाऊ मैसेज पर सख्ती रही। इससे सामाजिक सौंहार्द की भावना बनी रही। 2. नकारात्मकता : नेटबंदी होने से कारण कंपनियों को जहां फायदा हुआ, वहीं उपभोक्ताओं को दैनिक डेढ़ जीबी डाटा का लाभ नहीं मिला है। वहीं नेट बैंकिंग सहित अन्य सुविधाओं का उपभोक्ता उपयोग नहीं कर पाए।
Published on:
11 Nov 2019 12:48 pm
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