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Video : पत्रिका से विशेष बातचीत में बोले अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओम प्रकाश पाण्डेय: नासा का टारगेट 1485 प्लेनेट, खोजबीन के प्रयास जारी

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Video : पत्रिका से विशेष बातचीत में बोले अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओम प्रकाश पाण्डेय: नासा का टारगेट 1485 प्लेनेट, खोजबीन के प्रयास जारी

बांसवाड़ा. अंतरिक्ष में खोजने को फिलहाल कुछ बचा नहीं। ब्लैक हॉल्स पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक स्टीफन हाकिन्स ने भी यही बात कही थी। अब विज्ञान डायवर्ट हो रहा है और जो कुछ खोजा जा चुका है उस पर अधिक जानकारी के लिए अनुसंधान चल रहा है। करीब 1 खरब प्लेनेट हैं, जिसमें से 1485 को नासा ने टारगेट किया है, जहां खोजबीन के प्रयास जारी हैं। यह बात अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओम प्रकाश पाण्डेय ने शुक्रवार को पत्रिका से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि कुछ भी खोजा नहीं जा सकता है। अंश पूर्ण को कभी खोज नहीं सकता। हमारी पृथ्वी और हमारी जानकारी अंश मात्र है। हम केवल अनुमान लगा रहे हैं कि जो हमारी पृथ्वी पर हो रहा है वैसा वहां भी होगा, लेकिन वहां तक पहुंचना संभव नहींं है। पाण्डेय ने कहा कि पृथ्वी को यदि मां कहें तो दूसरी सबसे नजदीक पृथ्वी रूपी मौसी हमारी पृथ्वी से छोटी है और 6 सौ प्रकाश वर्ष दूर है। हमें वहां 1 लाख 48 हजार किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार के चलने वाले राकेट से जाना होगा और इसमें 184 वर्ष लगेंगे। यह हमारे जीवन में संभव नहीं है। रेडियोएक्टिव व अन्य माध्यम से अनुमान लगाने व समझने का कार्य कर रहे हैं। अभी वहां पहुंचना विज्ञान के लिए भी संभव नहीं है।

यज्ञ में वायु शुद्धि और वटवृक्ष में याददाश्त बढ़ाने की शक्ति
बांसवाड़ा. हमारे ग्रंथों में ज्ञान का अपार खजाना है। इनमें केवल धर्म ही समाहित नहीं है वरन ये पर्यावरण हितैषी जीवनशैली के संवाहक और मार्गदर्शक हैं। भोगवादी संस्कृति का इनमें कोई स्थान नहीं है। बस हमें इसी ज्ञान को समझकर अंगीकार करने की जरूरत है। फिर न पर्यावरण प्रदूषित होगा और न जीवन पर संकट होगा।पर्यावरण संरक्षण एवं भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर शुक्रवार को आयोजित संगोष्ठी में जब विचारों का आदान प्रदान हुआ और लोगो ने ग्रंथों की बातों को तक की कसौटी पर कसा तो ये निष्कर्ष उभरकर सामने आए। गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर से संचालित वेद विद्यापीठ के अन्तर्गत हुई इस संगोष्टी में ये मंथन करने वालों मेंं अंतरिक्ष के ज्ञाता थ संस्कृति के अध्येता भी थे। भारतीय विद्या मन्दिर टी.टी. कॉलेज के रामानन्द सभागार में अपने विचार रखते हुए अन्तरिक्ष वैज्ञानिक एवं भारतीय संस्कृति के अध्येता डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय ने धर्म व संस्कृति से जुड़े कई उदाहरण व तर्क के माध्यम से अपनी बात को प्रमाणित करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग का कारण मानव की जीवन शैली है, जिसमें भोगवादी संस्कृति का अनुकरण हो रहा है। सनातन काल से चली आ रही वैदिक जीवन पद्धति जिसमें यज्ञ, दीपदर्शन को दिनचर्या का हिस्सा माना गया था उससे पर्यावरण का संतुलन व्यवस्थित होता है।