संविधान को नहीं मानती बीजेपी-आरएसएस वहीं प्रोफेसर के इन आरोपों पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि यह पुरस्कार सरकारी संस्था राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान कीतरफ से दिया जाता है। इसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होते हैं। साहित्य जगत में अच्छा काम करने वालों को सरकार यह पुरस्कार देती है। प्रोफेसर रविकांत ने भी एक किताब लिखी थी आजादी और राष्ट्रवाद। जिसको लेकर उनको यह अवार्ड दिया जाना था। लेकिन प्रोफेसर ने इन दिनों 13 प्वाइंट रोस्टर और आरएसएस के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। अब बीजेपी ने उसी को आधार बनाकर सरकारी संस्थान पर दबाव बनाया। जिसके बाद प्रोफेसर से वह पुरस्कार वापस लिया जा रहा है। पुनिया ने कहा कि सरकार का यह कदम बेहद खेदजनक है। सरकार की यह हरकत बीजेपी और आरएसएस की मानसिकता को उजागर कर रही है। जो इनके विचारों से सहमत होगा वह आगे बढ़ेगा, लेकिन अगर किसी ने आलोचना कर दी तो ये लोग उसके विरोध में किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। पहले भी आरएसएस के खिलाफ लिखने वालों का क्या हश्र हुआ यह सभी जानते हैं। सरकार के इन कदमों से अभिव्यक्ति की आजादी की तरफ एक संकट का दौर खड़ा हो रहा है। जबकि हमारा संविधान सभी को बोलने की इजाजत देता है। लेकिन बीजेपी और आरएसएस को संविधान से कोई मतलब नहीं है।