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हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावार, भाव गिरे

भावों में तेजी को देखते हुए इस बार हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावार हुई। पिछली बार की तुलना में कोटा संभाग में रकबा 50 हजार हैक्टेयर से बढकऱ 90 हजार हैक्टेयर हो गया। पिछले साल ऐतिहासिक उछाल के बाद मंडियों में नई लहसुन की दस्तक से भाव औंधे मुंह गिर गए।

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हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावार, भाव गिरे

हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावार, भाव गिरे

जयप्रकाश सिंह, हंसराज शर्मा

बारां. भावों में तेजी को देखते हुए इस बार हाड़ौती में लहसुन की बम्पर पैदावार हुई। पिछली बार की तुलना में कोटा संभाग में रकबा 50 हजार हैक्टेयर से बढकऱ 90 हजार हैक्टेयर हो गया। पिछले साल ऐतिहासिक उछाल के बाद मंडियों में नई लहसुन की दस्तक से भाव औंधे मुंह गिर गए। कुछ दिन पहले तक 500 रुपए किलो तक बिकने वाला लहसुन गुणवत्ता के हिसाब से मण्डी में 40 से 225 रुपए तक बिक रहा है। आम आदमी को नया लहसुन 100 से 200 रुपए किलो तक में मिलने लगा है। कोटा संभाग में सबसे ज्यादा लहसुन की खेती झालावाड़ जिले में होती है। इस बार यहा 51 हजार हैक्टेयर में बुवाई की गई। बारां जिले में 31 हजार 200 हैक्टेयर में लहसुन हुआ है। कोटा समेत संभाग की सभी बड़ी और छोटी मंडियों में नया लहसुन आ गया। बारां में एक माह बाद बुधवार को शुभ मुर्हुत में लहसुन की खरीद शुरू हुई। यहां प्रथम ढेरी की नीलामी 21 हजार रुपए ङ्क्षक्वटल में हुई। औसत नीलामी 8 से 10 हजार रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल रही।
पिछले साल ऐतिहासिक उछाल
वर्ष 2022-23 में लहसुन के भावों में ऐतिहासिक उछाल आया। इस वर्ष अच्छी गुणवत्ता का लहसुन 51 हजार रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल के उच्चतम भावों पर बिका। इसका औसत भाव 21 हजार से 32 हजार रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल तक रहा।
दो साल तक किसानों के आंखों में आंसू
वर्ष 2020-21और 2021-22 में भावों में लगातर गिरावट के चलते किसानों का लहसुन की फ सल से मोह भंग हो गया था। वर्ष 2021-22 में तो लहसुन के भाव लुढक़ कर सबसे निचले स्तर पर आ गए थे। इन दो सालों में लहसुन मंडियों में 100 से 150 रुपए प्रति क्ंविटल तक भाव में बिका। इससे मायूस कई किसानों ने लहसुन को मवेशियों को खिला दिया या फिर सडक़ों पर फैंक दिया। किसानों ने समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की मांग की थी, लेकिन राज्य सरकार की लेटलतीफी के कारण खरीद नहीं हो पाई।
उम्मीद से कम मिले भाव
बारां मंडी में लहसुन लेकर आए कुण्डी गांव के किसान रमेशचन्द्र कुशवाह का कहना था कि वह तीस कट्टे लहसून लेकर आया था। उसे 13 हजार रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल भाव की उम्मीद थी, लेकिन 9800 रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल ही बिक पाया। अमलावदा के रामचन्द्र सुमन ने बताया कि वह 15 हजार रुपए तक भाव की उम्मीद लेकर आया था, लेकिन 8700 रुपए में बेचना पड़ा।
कच्चा है नया लहसुन
मंडी व्यापारी हरीश विजयवर्गीय ने बताया कि अभी जो नया लहसुन आ रहा है, उसमें नमी की मात्रा अधिक है। इस कारण भाव कम मिल रहे है। अप्रेल से मंडी में लहसुन की अच्छी आवक होगी। गर्मी होने से इसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। वही क्वालिटी में भी सुधार होगा।
देश भर में जाता है हाड़ौती का लहसुन
लहसुन व्यापार संघ के अध्यक्ष जगदीश बंसल के अनुसार हाड़ौती का लहसुन देश भर में जाता है। यहां कई प्रदेशों से व्यापारी खरीद के लिए आती है। यहां लगी यूनिटों में लहसुन की ग्रिङ्क्षडग कर दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसाए छत्तीसगढ़, तमिलनाडू जाता है।
पूजा अर्चना के बाद शुरु हुई नीलामी
लहसून व्यापार संघ के कोषाध्यक्ष विशाल मंगल ने बताया कि एक माह के बाद बुधवार को पुन: लहसून का कारोबार शुरु हुआ। नीलामी से पूर्व मंडी के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित शिव गणेश मंदिर पर विधिवत पूजा अर्चना कर प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान संघ के मंत्री हरीश विजयवर्गीय, व्यापारी रोहित टक्कर, पंकज जैन, संजय गुप्ता, शिवा गर्ग, ऋषभ जैन, राहुल बंसल, दिनेश गर्ग, निर्मल गोड़ तथा अंकित सेठी समेत कई व्यापारी मौजूद रहे।