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मंडी में अव्यवस्था, प्रशासन लाचार, अब विस्तार की दरकार

वर्तमान में अब यह मंडी छोटी पडऩे लगी है। इसके चलते मंडी विस्तार की मांग लगातार उठती जा रही है।

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बारां

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Mukesh Gaur

Apr 07, 2025

वर्तमान में अब यह मंडी छोटी पडऩे लगी है। इसके चलते मंडी विस्तार की मांग लगातार उठती जा रही है।

वर्तमान में अब यह मंडी छोटी पडऩे लगी है। इसके चलते मंडी विस्तार की मांग लगातार उठती जा रही है।

36 बीघा भूमि मामले में निस्तारण की उम्मीद, करीब 290 बीघा भूमि अवाप्ति की चल रही कवायद

बारां. जिला अन्नपूर्णा नगरी के नाम से प्रदेश में जाना जाता है। जिले में करीब 3 लाख 50 हजार हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें रबी व खरीब की विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसमें करीब 2.80 लाख हैक्टेयर ङ्क्षसचित भूमि है। जो कि नहरी तंत्र के साथ ही निजी संसाधनों से ङ्क्षसचित होती है। जिला मुख्यालय पर कृषि विपणन के लिए विशिष्ठ श्रेणी की मंडी मौजूद है। यह करीब 272 बीघा के क्षेत्र में फैली हुई है। लेकिन वर्तमान में अब यह मंडी छोटी पडऩे लगी है। इसके चलते मंडी विस्तार की मांग लगातार उठती जा रही है। इसी के तहत मंडी प्रशासन भी विस्तार की कवायद में जुटा हुआ है।

एक दशक से प्रयास

कृषि उपज मंडी के विस्तार को लेकर करीब एक दशक पूर्व मंडी प्रशासन ने प्रयास शुरु किए थे। करीब 36 बीघा भूमि को अवाप्त किए जाने के लिए कवायद शुरु की गई थी। लेकिन किसानों के कोर्ट में स्टे लगा देने से मामला अधर में लटक गया। बाद में किसानों से सहमति बनाने का प्रयास किया गया।

सहमति के लिए बैठक

कृषि उपज मंडी के विस्तार तथा शहर की यातायात व्यवस्था को मद्देनजर रखते हुए 11 फरवरी 2025 को कृषि विपणन निदेशालय के प्रदत्त निर्देशों के क्रम में बैठक आयोजित कर अभिशंसा भिजवाए जाने के लिए गठित कमेटी द्वारा मण्डी प्रांगण से सटी हुई, गेट 2 की तरफ अवाप्ताधीन 36 बीघा 6 बिस्वा भूमि का अवलोकन किया गया तथा भू धारकों से वार्ता की गई। इस दौरान भू धारकों ने अवगत करवाया कि अवाप्ताधीन भूमि 36 बीघा 6 बिस्वा के 25 प्रतिशत भूमि अर्थात 9 बीघा 1: बिस्वा भूमि का विकास करके सडक़ नाली आदि बनाकर दी जाती है तो उच्च न्यायालय में अपना वाद वापस लेने एवं मण्डी समिति को भूमि समर्पण करने को तैयार है। बैठक के दौरान भू धारकों से समझाइश की गई। इसके बाद भू-धारकों ने किसी भी स्थिति में विकसित भूमि का 15 अथवा 20 प्रतिशत भूमि लेनेे के लिए सहमति नहीं दी, लेकिन उनके द्वारा कुल अवाप्ताधीन भूमि अर्थात 36 बीघा 6 विस्वा के 20 प्रतिशत अर्थात 7 बीघा 5.2 विस्वा का विकास करके यानि सडक़ एवं नालियां बनाकर दिए जाने पर भूमि निशुल्क समर्पण करने के लिए अपनी सहमति दी है।

500 बीघा की जरूरत

कृषि उपज मंडी के विस्तार के लिए यूं तो करीब 250 बीघा भूमि की आवश्यकता है। मण्डी प्रांगण से लगी हुई करीब 300 से 400 बीघा निजी भूमि अवाप्त किए जाने की कार्रवाई की प्रक्रिया भी अविलम्ब शुरू करने के प्रयास की बात बैठक में रखी गई थी। आने वाले समय में परवन ङ्क्षसचाई परियोजना पूर्ण होने के बाद क्षेत्र में कृषि ङ्क्षजसों के उत्पादन में संभावित वृद्धि के मध्यनजर अवाप्त की जाने वाली इस भूमि में विपणन सुविधाए विकसित की जाकर वर्तमान में स्थापित मार्केट यार्ड का विस्तार किया जाना संभव हो सकेगा।

नई मंडी की कवायद पड़ सकती है भारी

वर्तमान में स्थापित मण्डी प्रांगण में लगभग 300 करोड़ की आधारभूत संरचनाएं विकसित है। जिला मुख्यालय से 10 से 12 किमी की परिधि में 500- 700 बीघा भूमि लेकर उसमें विकास करवाए जाने पर इन संरचनाओं की कीमत शून्य हो जाएगी तथा इस निर्माण कार्य में ही 5 से 10 वर्ष का समय लगने की संभावना है। मंडी प्रशासन द्वारा कमेठी की बैठक में लिए निर्णयों से निदेशालय को अवगत कराते हुए निकट की भूमि ही अधिग्रहण करने पर जोर दिया गया है। फरवरी हुई बैठक के बाद मंडी सचिव हरिमोहन बैरवा ने बैठक में विस्तार से मंथन कर रिपोर्ट जयपुर कृषि विपणन बोर्ड को भिजवाई थी। जिस पर कमेटी को अब शीघ्र ही निर्णय की उम्मीद है। बारां कृषि उपज मंडी में जिले की कृषि जिन्सों के विपणन के साथ ही श्योपुर, गुना समेत कई स्थानों से किसान जिन्स बेचने आते हैं। मंडी में एमपी की धान व गेहूं की विशेष आवक होती है। क वर्ग व्यापार संघ के अध्यक्ष मनीष लश्करी ने बताया कि बारां कृषि उपज मंडी में अच्छे भाव व विपणन में पारदर्शिता के चलते एमपी के किसान यहां माल बेचने आते हैं। लेकिन मंडी में विपणन सुविधाओ का टोटा होने के कारण परेशानी भी उठानी पड़ती है। सीजन में कई बार नीलामी व्यवस्था को बंद करना पड़ता है। इससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है। इसी के चलते मंडी विस्तार की दरकार है।

कई निर्णय हुए गलत

मंडी व्यापारी विमल बंसल ने बताया कि मंडी 272 बीघा में है। लेकिन बीते वर्षो में कई निर्णय गलत साबित हुए। उन्होंने कहा कि 272 बीघा मंडी की भूमि में से थोक फल सब्जी मंडी को करीब 12 बीघा भूमि देना, स्टेट वेयर हाउस तथा राजस्थान बीज निगम को भूमि देना भी उचित निर्णय नहीं रहा है। मंडी में कोल्ड स्टोरेज के लिए भूभाग देकर अन्य परिस्थितियों को अनदेखा कर दिया। अभी हाल ही में मंडी में जगह के अभाव में किसानों को ढेरियां लगाने में परेशानी उठानी पड़ी। 24 घंटे तक मंडी में प्रवेश के लिए परेशान होना पड़ा ऐसे में यहां आयोजित हुई बैठक में भी व्यापारियों व किसानों ने विधायक राधेश्याम बैरवा तथा किशनगंज विधायक ललित मीणा से भी मंडी विस्तार को लेकर सार्थक प्रयास की मांग की है।

वर्तमान हालात तथा भविष्य की स्थिति को देखते हुए मंडी विस्तार को लेकर पूर्व में आयोजित बैठक के अनुसार कवायद के लिए फिर से कृषि विपणन बोर्ड को पत्र प्रेषित किया गया है। जिस पर सरकार का सकारात्मक रुख व निर्णय की उम्मीद बनी हुई है।

हरिमोहन बैरवा, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, बारां


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