डिफॉल्ट जोन में निर्माण अब विशेषज्ञों की सलाह के बाद
परवन नदी पर बन रहे बांध का मामला : अधीक्षण अभियंता ने किया निरीक्षण

बारां. राजस्थान पत्रिका के 14 दिसम्बर के अंक में परवन बांध में डिफॉल्ट जोन में 700 करोड़ दांव पर खबर प्रकाशित होने के बाद आला अधिकारी हरकत में आए। बुधवार को अधीक्षण अभियंता केएम जायसवाल ने कंक्रीट कार्य का निरीक्षण किया। उनका कहना था कि डिफॉल्ट जोन में अब विशेषज्ञ टीम की सलाह के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा। परियोजना के अंतर्गत बांध के दाएं हिस्से की डिजायन एवं ड्राइंग का केंद्रीय जल आयोग द्वारा पुनरीक्षण किया जा चुका है। उसी के अनुसार बांध के दाएं हिस्से में कार्य किया जा रहा है। बांध के बाएं हिस्से के ब्लॉक संख्या 4 से 8 के मध्य जीएसआई के द्वारा डिफाल्ट बताए जाने के उपरांत बांध की नींव की फाल्ट के ट्रीटमेंट किए जाने के लिए विशेषज्ञ एवं आईआईटी रुड़की भूकम्प विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है। इस विशेषज्ञ टीम का दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में निरीक्षण किया जाना प्रस्तावित है। विशेषज्ञ टीम द्वारा बांध के फाल्ट के संबंध में पूर्व में किए गए परीक्षण एवं जीएसआई द्वारा बताए गए विवरण के अध्ययन उपरांत समिति के दो वरिष्ठ सदस्यों पूर्व उप महानिदेशक जनरल जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया डॉ वीके शर्मा एवं पूर्व निदेशक जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया बीपी शर्मा द्वारा अक्टूबर माह के अंत में बांध का निरीक्षण किया जाकर फाल्ट को ट्रीटमेंट योग्य बताया गया है।
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फिर नहीं आएगी बाधा
विशेषज्ञ टीम के निर्देशानुसार बांध की नींव में पाए गए फाल्ट के ट्रीटमेंट को सीडब्लूसी को प्रस्तुत किया जाएगा। बांध के बाएं हिस्से की ड्राइंग डिजाइन को पुनरक्षित किया जाएगा। इसके बाद ही बांध के ब्लॉक 4 से 8 में काम किया जाएगा। बांध में 4 ब्लॉक को छोड़कर अन्य हिस्से जिनमें की फास्ट लाइन नहीं है उनमें विशेषज्ञों की राय के अनुसार कार्य किए जाने की किसी प्रकार की बाधा नहीं है। बांध के दाएं हिस्से में कंक्रीट का कार्य प्रगतिशील है। बांध व टनल निर्माण में 350 करोड़ व्यय हो चुके हैं। निरीक्षण के दौरान अधिशासी अभियंता भारतरत्न गौड़ सहित कई अभियंता मौजूद थे।
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अभियंताओं की जांच कराए बिना कार्य नहीं
विधायक प्रतापसिंह सिंघवी ने बांध का निर्माण कार्य रुड़की के इंजीनियरों की जांच के बिना बंद करने को कहा है। सिंघवी ने कहा कि बांध के पास आया क्रैक कहां तक असर डाल रहा है, यह कहना मुश्किल है। उन्होंने रुड़की की जांच के बाद निर्माण स्थल समेत विभिन्न गडबड़ी की जांच अन्य एजेंसी से कराने की मांग की है।
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