मांगरोल.यहां उपखंड मुख्यालय पर स्थित चंबल की दायीं मुख्य नहर के कार्यालय को हटाए जाने व अस्पताल के लिए अधिग्रहण करने के मामले में किसानों का सीएडी परिसर में चल रहा धरना चौथे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार को आनंद गर्ग अग्रणी किसान अशोक जैन व चंबल परियोजना के सभापति सुनील गालव के नेतृत्व में धरना दिया गया। किसानों की मांग है कि 15 बरस पहले गणेशगंज लिफ्ट सिंचाई परियोजना का कार्यालय यहां से हटाने के बाद किसानों को अब दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसके बाद सिंचाई विभाग के कार्यालय की आधी जमीन थाने के नाम दे दी गई। और अब तो यहां के कार्यालय की पूरी जमीन व भवन अस्पताल बनाने के नाम पर अधिग्रहण कर लिया गया है। इससे किसानों की समस्या बढ़ेगी। चंबल की दायीं मुख्य नहर से 1.46 लाख बीघा भूमि सिंचित होती है। कोटा जिले की पीपल्दा तहसील, बारां जिले के अंता व मांगरोल के सैंकड़ों गांव इससे जुड़े हैं। वहां कोटा से चलकर यह नहर मध्यप्रदेश में प्रवेश करती है।
नहर संचालन के दौरान जब भी कोई समस्या आती है। तो यहां स्थित कार्यालय राजस्थान समेत मध्यप्रदेश के किसानों की समस्या को भी त्वरित समाधान करने में सक्षम रहता है। किसानों के लिए वरदान साबित इस नहर के टूटने पर आने वाली समस्या का ध्यान नहीं रख व किसानों को भटकने को मजबूर किया जा रहा है। कार्यालय स्थल पर सैंकड़ों हरे पेड़ लगे हैं। वहां करोड़ों का भवन बना है। इसे ध्वस्त करने की तैयारी के साथ ही किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है। शुक्रवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बड़ी संख्या में किसान पहुंचे। किसानों का कहना था कि अस्पताल बनना चाहिए। इसके लिए किसानों की जरूरत के कार्यालय की बलि चढ़ाना जायज नहीं कहा जा साकता है। शुक्रवार को लगभग दो दर्जन गांवों के किसान धरने पर बैठे। अधिग्रहण के विरोध में 13 सितम्बर को किसानों का महापड़ाव कर सरकार को चेताने का काम किया जाएगा।