9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Assembly Election 2023: नौ नदियां फिर भी गला तर नहीं…

Rajasthan Assembly Election 2023: बारां-अटरू से छबड़ा विधानसभा क्षेत्र की यात्रा लंबे समय तक याद रहेगी। गर्मी में तपिश के बीच बारां रेलवे स्टेशन से अटरू होते हुए छबड़ा तक सड़क मार्ग से 70 किलोमीटर का सफर ऐसा था कि शायद ही लोग इस रूट पर दोबारा आना चाहें।

2 min read
Google source verification
baran.jpg

बारां/भवनेश गुप्ता। Rajasthan Assembly Election 2023: बारां-अटरू से छबड़ा विधानसभा क्षेत्र की यात्रा लंबे समय तक याद रहेगी। गर्मी में तपिश के बीच बारां रेलवे स्टेशन से अटरू होते हुए छबड़ा तक सड़क मार्ग से 70 किलोमीटर का सफर ऐसा था कि शायद ही लोग इस रूट पर दोबारा आना चाहें। इस रूट में 30 किलोमीटर तक तो सड़क का नामोनिशां ही नहीं मिला। यमदूत की तरह आगे चलते ट्रकों के पहियों से उड़ती धूल के आगे कुछ नजर नही आया। गुस्साए बारां के महावीर कंडारा, अटरू के वयोवृद्ध नटवरलाल हो या छबड़ा में ढाबा चलाने वाले त्रिलोक रावल, सबने अपने-अपने अंदाज में कहा- ऐसे हालात के लिए सरकार को पूरे स्थानीय प्रशासन को 'सस्पेंड' कर देना चाहिए। खैर, जैसे-तैसे अटरू, कवई होते हुए छबड़ा पहुंचा तो जान में जान आई। वापस आने के लिए मजबूरी में दूसरा लंबा रास्ता पकडऩा पड़ा। बस, अच्छा यह रहा कि इस मंजर से स्थानीय लोगों की पीड़ा को आसानी से महसूस कर पाया।

'कैप्सूल' बने यमदूत
कवई और छबड़ा में थर्मल पावर प्लांट हैं। यहां से राख लेने के लिए इस रूट पर सीमेंट कंपनियों के भारी वाहन लगातार दौड़ते रहते हैं। लोग इन वाहनों को 'कैप्सूलÓ कहते हैं और यही लोगों का मर्ज बढ़ा रहे हैं। अटरू में हाट चौक में चाय की थड़ी पर पहुंचा और बातचीत शुरू की। स्थानीय ज्वैलर गिर्राज सोनी, इसराज मोहम्मद का दर्द छलक पड़ा, बोले, ये कैप्सूल यमदूत हैं और कभी हमारा नंबर भी आ सकता है...इनसे बचाओ। इनसे सड़क छलनी हो गई और कई लोगों की जान जा चुकी है। लोगों में गुस्सा इस कदर था कि उन्होंने स्थानीय नेताओं को देख लेने की बात तक कह डाली। यही दोहराते रहे कि कैप्सूल को यहां से बाइपास करो।
यह भी पढ़ें : कद-काठी रौबीली, देशभक्ति का पारा 100 डिग्री... नशा बिगाड़ रहा नस्लें

800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी व्यर्थ बहता

गर्मी ज्यादा थी तो कोल्डड्रिंक पीने के लिए बाइपास स्थित एक दुकान पर गाड़ी रोकी। वहां दूसरे लोग भी बैठकर बातचीत कर रहे थे। उनकी बातें सुनी तो पता चला कि पीने का पूरा पानी नहीं मिलने से लोग परेशान हैं। मैंने भी पूछ लिया जब बारां में नौ से ज्यादा नदियों गुजर रही है तो पेयजल की समस्या गले नहीं उतर रही। तभी वहीं बैठे दिनकर धाकड़ ने कहा, उन्होंने पढ़ा है कि फिर भी बारां जिले में 40 प्रतिशत जनता को पीने का पूरा पानी नसीब नहीं हो रहा। इन नदियों से मानसून के हर सीजन में 800 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी व्यर्थ बह रहा है। मैं भी चौंक गया कि इतनी जानकारी इनके पास कैसे आई। पता चला कि राजस्थान पत्रिका में ही कुछ समय पहले समाचार प्रकाशित हुआ था। फिर मैंने भी वहीं से जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को फोन घुमा दिया। हैरत करने वाली जानकारी सामने आई कि हर बारिश में इतना पानी बह जाता है कि उससे बीसलपुर का लगभग पूरा बांध भर सकता है।

यह भी पढ़ें : सेम से बर्बाद हो रहा किसान...चावल से पहचान, राइस बेल्ट बने तो खेती चढ़े परवान

फ्री इलाज तो मिला, रोजगार मिले तो बने बात...
छबड़ा से राजस्थान-मध्यप्रदेश बॉर्डर पर अंतिम गांव गोगूर की तरफ राह पकड़ी। अंतिम छोर होने के कारण लोगों तक सरकार की योजनाएं पहुंच भी रही हैं या नहीं, यह जानने के लिए ठेले पर नमकीन-चिप्स बेच रही महिला (नाम इंद्रा बताया) से पूछा तो बोली, महंगाई से राहत तो कहां मिलती है। स्थायी रोजगार मिले तो कुछ बात बने। थर्मल पावर प्लांट होने पर भी पति को वहां रोजगार नहीं मिला। हां, अस्पताल में फ्री इलाज जरूर मिला। चिरंजीवी योजना की जानकारी है।

चुनावों से जुड़ी अन्य खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...