
Baran News: वैसे तो सभी क्षेत्र में शाहाबाद-किशनगंज विधानसभा क्षेत्र पिछड़ा हुआ माना जाता है। यहां सबसे अधिक सहरिया समुदाय के लोग निवास करते हैं। जो हर क्षेत्र में पिछड़े हैं। इनके साथ-साथ मध्यम वर्ग भी पिछड़ा है। यहां कई प्रकार की निजी सेक्टर की योजनाओं में आर्थिक पिछड़ापन होने के कारण काम रुक जाते हैं। हम शाहाबाद के तलहटी क्षेत्र की बात करें तो यहां पर किसी भी बैंकिंग, फाइनेंस कंपनी निवेश करने से कतराती हैं। क्योंकि यहां सीबिल रिपोर्ट पिछड़ी हुई है।
लोगों के पास रोजगार नहीं होने के कारण फाइनेंस कंपनियां सहरिया बहुल शाहाबाद में निवेश नहीं करती हैं। इसके चलते लोगों विकास कार्य रुक जाते हैं। जब से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) का शाहाबाद दौरा प्रस्तावित हुआ है। तब से युवाओं के संगठन सक्रिय हो गए हैं। जो लगातार शाहाबाद किशनगंज क्षेत्र को टीएसपी क्षेत्र घोषित करने की मांग उठा रहे हैं ।
यह पहली बार नहीं है कि यहां के युवा टीएसपी घोषित करने को लेकर मांग कर रहे हैं। कई सालों से क्षेत्र को टीएसपी घोषित करने की मांग चलती आ रही है। यहां के विधायक डॉ. ललित मीणा को कई बार टीएसपी घोषित करने को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं। वह भी विधानसभा में टीएसपी घोषित करने का मुद्दा उठते रहे हैं, लेकिन फिर भी स्थितियां वही बनी हुई हैं।
कई युवाओं द्वारा विधानसभा क्षेत्र को टीसी घोषित करने की मांग को लेकर अलग-अलग गांवों कस्बों में सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जोड़ा जा रहा है। उन्हें टीएसपी क्षेत्र मिलने के बाद होने वाले लाभ बताए जा रहे हैं। इसके चलते क्षेत्र के लोग जागरुक होकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन देकर शाहाबाद किशनगंज क्षेत्र को टीएसपी क्षेत्र घोषित करने की मांग करेंगे।
संविधान के 10 अनुच्छेद 244 में कुछ ऐसे क्षेत्र जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्र नामित किया गया है। यहां प्रशासन की विशेष परिकल्पना की गई है। संविधान की पांचवीं अनुसूची में राज्यों के अनुसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन में नियंत्रण के बारे में चर्चा की गई है। यहां दूसरे राज्यों की तुलना में अनुसूचित क्षेत्र के साथ भिन्न रूप से व्यवहार किया जाता है। क्योंकि वहां भी आदिम निवासी रहते हैं।
वे सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछडे लोग होते हैं। उनके उत्थान के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता होती है। राज्य में चलने वाली सामान प्रशासनिक व्यवस्था अनुसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होती। केंद्र सरकार की इन क्षेत्रों के प्रति अधिक जिम्मेदारी होती है। राष्ट्रपति और राज्य का राज्यपाल दोनों आपस में मिलकर किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने का अधिकार रखते हैं। यह क्षेत्र को बढ़ा और घटा भी सकते हैं।
Published on:
31 Aug 2024 12:52 pm
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