ज्योति की दास्तां ... कटा हाथ लेकर बारां से कोटा तक भटकते रहे
बारां/मांगरोल. मांगरोल रोड पर बस सवार कॉलेज छात्रा ज्योति का हाथ बाजू से अलग होने के बाद परिजन थैले में हाथ को लेकर बारां से कोटा व वहां भी सरकारी से प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, लेकिन देरी होने के कारण हाथ जुडऩे से रह गया। घटना के तत्काल बाद प्रशासन अलर्ट होता तो संभवतया सम्बंधीत दक्ष चिकित्सकों का इंतजाम हो जाता तथा समय की बचत होने से इलाज भी मिल जाता। प्रशासनिक तंत्र, बस तथा ट्रैक्टर-ट्रॉली चालक की लापरवाही का खामियाजा ज्योति और उसके परिवार को जीवनभर का दुख दे गया। अब सारी उम्र ज्योति को बिना हाथ जीवन बसर करना होगा। उसे ओर परिजनों को यह दर्द हमेशा शालता रहेगा। खास चलती बस में खिड़की से हाथ बाहर नहीं निकाला होता। इस मामले में परिजनों की ओर से सदर थाने पर दी रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार शाम बस चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
ओवरटेक किया
पुलिस ने बताया कि मांगरोल कस्बे के वार्ड चार कांज्या टोडी निवासी ज्योति पंकज (17) बुधवार को एक सहेली के साथ इलाज के लिए बारां आई थी। उपचार परामर्श लेने के बाद दोनों सहेली रोडवेज बस में सवार होकर बारां से मांगरोल जा रही थी। ज्योति का बायां हाथ कोहनी तक खिड़की से बाहर निकला हुआ था। मियाडा कुंड के समीप बस चालक ने आगे चल रहे लोहे के बिट लगे ट्रैक्टर-ट्रॉली से ओवरटेक किया। इस दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली के चपेट में आने से ज्योति का बायां हाथ अलग हो गया। बस चालक ने ओवरटेक करने में तो तत्परता दिखाई, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली पर लगे बिट व सवारियों के खिड़की से बाहर हाथ निकले होने पर ध्यान नहीं दिया।
ज्योति के भाई दीपक का कहना है कि बस चालक व सवारी भी अस्पताल पहुंचाने में मदद करती तो संभवतया इतना बुरा नहीं होता। मियाड़ा कुंड के पहले एक ढाबे के समीप बस ओवरटेक करने से हाथ कट गया, लेकिन बस चालक ने करीब एक किलोमीटर दूर कुंड के समीप बस रोकी तथा दोनों सहेलियों को नीचे उतारकर चला गया। कुछ देर बाद लोग जमा हो गए। भीड़ देखकर स्कूटी सवार एक अजनबी लड़की रूकी तथा जानकारी लेकर तत्काल ज्योति व उसकी सहेली को खुद की स्कूटी पर बैठाकर बारां जिला अस्पताल छोड़ा। वह अजनबी लड़की कौन थी, कोई नहीं जानता, लेकिन उसी के वजह से अस्पताल पहुंचने से जीवन बच गया। वरना इससे भी बूरा हो सकता था। तीनों लड़कियों ने काफी हौंसला दिखाया।
संक्रमण का था खतरा
बारां से रैफर करने पर कोटा ले गए, लेकिन सरकारी एम्बुलैंस ने कोटा एमबीएस पहुंचाने में ही ढाई घंटे लगा दिए। फिर एमबीएस में जांच के बाद चिकित्सकों ने हाथ ऊंचे कर दिए तो मेवाड़ हॉस्पीटल ले गए। वहां भी संभावना नहीं लगी तो विज्ञान नगर स्थित सुस्रुत हॉस्पिटल ले गए। यहां डॉ. रितेश जैन ने दो घंटे से अधिक का समय होने के कारण काफी क्रिटिकल स्थिति बताई। संक्रमण फैलने से जान का खतरा बताया गया। फिर हाथ नहीं जोड़ा गया, लेकिन फिलहाल डॉ. जैन ही इलाज कर रहे है। ज्योति मांगरोल स्थित कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा है।