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Ram Mandir: देखते ही देखते पुलिस की गोलियों से शहीद होते चले गए कई कारसेवक

लम्बे समय के इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर 22 जनवरी को उद्घाटन व प्रतिमा स्थापना समारोह होने जा रहा है। रामजन्म भूमि के लिए कई आन्दोलन हुए, इसमें बारां जिले के लोगों की भी भागीदारी रही है।  

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देखते ही देखते पुलिस की गोलियों से शहीद होते चले गए कई कारसेवक

देखते ही देखते पुलिस की गोलियों से शहीद होते चले गए कई कारसेवक

लम्बे समय के इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर 22 जनवरी को उद्घाटन व प्रतिमा स्थापना समारोह होने जा रहा है। रामजन्म भूमि के लिए कई आन्दोलन हुए, इसमें बारां जिले के लोगों की भी भागीदारी रही है। ऐसे में भाग लेने वाले एक कार सेवक ने इस असवर पर अपनी यादों को ताजा किया। प्रथम कार सेवा 1990 में भाग लेने वाले जिले के सबसे छोटे कारसेवक युगल बिहारी यदुवंशी जो उस समय महज 16 वर्ष के रहे होंगे। उन्होंने अयोध्या के माहौल को शब्दों में बताकर जीवंत कर दिया।



युगल ने बताया कि दीपावली के दूसरे बिन भाईदोज के दिन बारां शहर की भूरालालजी की धर्मशाला में 132 कारसेवक बारां जिले व तहसील तथा नगर के एकत्रित हुए थे। उस समय युगल बिहारी 12वीं कक्षा के विद्यार्थी थे। वे कारसेवकों को देखने शाम को भूरालालजी की धर्मशाला में पहुंचे थे। धर्मशाला में उनके चाचा गिरधारीलाल अध्यापक मिले। वे कारसेवा के लिए अयोध्या जाने पहुंचे थे। उन्होंने 500 रुपए कारसेवा शुल्क किराया आदि का जमा करवा दिया था। लेकिन वह किसी कारण से नहीं जा पा रहे थे। ऐसे में जब युगल से जाने के लिए कहा तो वे तुरंत तैयार हो गए। उस समय जिला प्रचारक अरूणकांत थे।

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उन्होंने कहा कि वह अभी छोटा है। लेकिन परिवारजनों की सहमति के बाद वह उसे ले जाने के लिए तैयार हो गए। कपड़े, शॉल इत्यादि लेकर धर्मशाला से दूसरे दिन सुबह 6 बजे 132 कारसेवको के साथ ट्रेन से कोटा के लिए रवाना हो गए। कोटा पहुंचते ही कारसेवको को श्रीराम मन्दिर स्टेशन रोड कोटा में ठहराया गया। वहीं एक और जत्था स्वयं सेवक द्वारका गोस्वामी के नेतृत्व में रवाना हुआ। इसमें 32 लोग थे। दूसरा जत्था शाम को रवाना हुआ। इसमें 102 लोगो को कैलाश शर्मा लेकर गए। युगल भी इसमें ही शामिल था।

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सुबह वे लोग दिल्ली पहुंचे। शाम को गोरखपुर जाने वाली ट्रेन से जत्था अयोध्या रवाना हुआ। कुछ कार सेवकों को पुलिस ने पकड़ कर दिल्ली जेल में डाल दिया, कुछ को ट्रेन में रास्ते में उतार कर जेलों में डाल दिया। जब पुलिस वाले पूछताछ के लिए आए तब युगल ट्रेन के शौचालय में छिप गया। जत्थे के कैलाशचन्द को भी बीच में पकड़ कर जेल में डाल दिया गया। वे अगले दिन सुबह 11 बजे मनकापुर स्टेशन पहुंचे। वहां से जंगलों में गन्ने के खेतों में भेजा गया। यहां से अयोध्या 100 किलोमीटर था।



युगल ने बताया कि वे रात को पैदल 20-25 किलोमीटर चला करते और विश्राम दिन में जंगलों में करते। यह दूरी उन्होंने 4-5 दिनों में पार की। 15 कारसेवक, इनमें रामनारायण तलावड़ा, गोरधन मोठपुर आदि बस्ती जिले को पार कर गोण्डा जिले से होकर रातों में खेतो के रास्ते चलकर सुबह 4 बजे सरयू किनारे गोण्डा जिला पहुंचे। वहां कई प्रदेशों के हजारों कारसेवक मौजूद थे। बारां तहसील के 15 कारसेवक यहां तक पहुंच गए थे। उन्हें सरयू पुल पर पुलिस ने रोक लिया और लाठी चार्ज किया।

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इससे वहां भगदड़ मच गई। कई कारसेवक पुल से नीचे नदी में गिर गए और कई बह गए। कई को नीचे गोताखोरों ने निकाला। कार सेवको में जोश भरा हुआ था, उन्होंने अयोध्या कूच किया। अयोध्या में पुलिस ने गोलीबारी की। इसमें कई कारसेवक घायल हो गए। इसमें जत्थे के 3-4 कारसेवकों की मृत्यु हो गई। सभीे 15 कारसेवकों ने वापस बारां आने का निर्णय किया। लेकिन युगल ने लौटने से मना कर दिया। सभी वापस आ गए और युगल रुक गया।



युगल ने बताया कि अयोध्या की सीमा पर पहुंचने पर उन्हें गांव से शवयात्रा आती दिखी। युगल भी उसी में शामिल हो गया। वो शवयात्रा के साथ अयोध्या पहुंच गया। यहां मणिराम की छावनी में रुका। वहां द्वारका गोस्वामी मिले। यह लोग भी जैसे तैसे 2 दिन पहले ही अयोध्या पहुंचे थे। इनमें जिनमें सुशील पंजाबी, रामगोपाल गोतम अध्यापक, रामकिशन कारीगर केदार भार्गव केलवाड़ा और द्वारका गुप्ता थे। युगल के जत्थे में से केवल वह ही पहुंच पाया था। जिले के कुल 7 कार सेवक ही अयोध्या पहुंच सके थे। दूसरे दिन सुबह करीब अयोध्या के राम जन्मभूमि के आसपास करीब एक लाख कारसेवक एकत्रित हुए। उसमें विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक ङ्क्षसघल, उमा भारती तथा हरेन्द्र पण्डिया आदि नेता भी थे।



2 नवम्बर 1990 को हम तीन लाइनों में एक किमी लाइन में अशोक ङ्क्षसघल के नेतृत्व में निकल गए। दूसरी तरफ से हजारो कार सेवक उमा भारती के नेतृत्व में कारसेवा करने पहुंचे थे। हमारे जत्थे को रामजन्म भूमि से 2 किमी दूर रोक लिया गया। तभी ऊपर छतों से गोलियां चलने लगी। भगदड़ मच गई। युगल ने बताया कि हमारे सामने 05 कार सेवक शहीद हो गए। इनके नाम सेठाराम परिहार जोधपुर, अविनाश माहेश्वरी अजमेर, शरद कोठारी जोधपुर और राम कोठारी जोधपुर दोनों सगे भाई मेरे सामने शहीद हो गए।

पूरी अयोध्या में भगदड़ मच गई और कारसेवकों को पुलिस वाले पकडऩे लगे। तब हमें वहां से तुरन्त रवाना होने के लिए कहा गया। फैजाबाद में और अयोध्या में कफ्र्यू लग गया था। हमें फैजाबाद से पुलिस वालों ने बसों से लखनऊ रवाना कर दिया। लखनऊ से हम दूसरे दिन ट्रेन से कोटा पहुंचे और बारां आ गए।



युगल ने बताया कि यह रामजी की ही कृपा है कि प्राण प्रतिष्ठा व गर्भ गृह प्रवेश का यह अवसर जीवन में ही देखने को मिलेगा। इच्छा तो 22 जनवरी को शामिल होने की थी। लेकिन ऊपर के निर्देशों के चलते अब 25 जनवरी को परिवार सहित अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे।


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