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‘तीन तलाक पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती’

मौलाना ने कहा कि अगर शरीयत के खिलाफ कोई बात कही जाती है तो मुसलमान उसको मानने को बाध्य नहीं हैं।

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Mukesh Kumar

Dec 08, 2016

maulana shahabuddin

maulana shahabuddin

बरेली।
तीन तलाक के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया। इस फैसले ऑल इंडिया जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शाहाबुद्दीन ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले को वो सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे। प्रेस को जारी एक बयान में मौलाना शाहाबुद्दीन ने कहा है कि एक बार में पति को अपनी पत्नी को तीन तलाक देने का अधिकार है। हां ये बात जरूर है कि एक बार में तीन तलाक को पैगम्बर इस्लाम ने पसन्द नहीं फ़रमाया है। मगर शौहर तलाक देता है तो शरीयत में उसे मंजूर माना गया है।


शरीयत के खिलाफ बात मानने को बाध्य नहीं

मौलाना ने कहा कि संविधान ने मुस्लिमों को मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक जिंदगी गुजारने की इजाजत दी है। अब ऐसी परिस्थिति में मुसलमान संविधान पर अमल करते हुए कुरान और हदीस पर अमल करता है। अगर शरीयत के खिलाफ कोई बात कही जाती है तो मुसलमान उसको मानने को बाध्य नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो महिलाएं कोर्ट जाती है, उनको मेरा सुझाव हैं कि वो इस्लामी संस्था दारुल इफ्ता और दारुल क़ज़ा में आएं।


तीन तलाक पर सोची समझी साजिश

कोर्ट के फैसले पर दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ़्ती सलीम नूरी ने बताया कि एक सोची समझी साजिश के तहत शरीयत और इस्लाम की जानकारी न रखने वाली कुछ मुस्लिम महिलाओं को तैयार कर उन से इस तरह की रिट दाखिल कराई जा रही है। संविधान ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को संरक्षण प्रदान किया है। इस्लाम का कोई क़ानून महिलाओं के खिलाफ नहीं हैं बल्कि इस्लामी क़ानून तो महिलाओं के अधिकारों की पूर्ण रूप से पूर्ति करता है। सलीम नूरी ने कहा कि शरीयत तीन तलाक में यह कहती है कि यदि किसी ने एक साथ तीन तलाक दे दी है तो वो मानी जाएगी मगर तलाक देने का यह तरीका गलत है।



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