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अजहरी मियां के अंतिम दीदार से न रोक सकी तेज बारिश, आज होंगे सुपुर्द ए खाक

अजहरी मियां के अंतिम दीदार के लिए दरगाह के आस पास लम्बी लम्बी लाइन लगी रही है

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Azahari Miyan intakal

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बरेली। आला हजरत खानदान के मुफ्ती अख्तर रजा खान अजहरी मियां के इंतकाल की खबर मिलते ही बरेली में अल्लामा अख्तर रज़ा खान के आखिरी दीदार के लिए मुरीदों का समंदर उमड़ गया है। उनकी नम आंखों में सिर्फ अपने प्यारे ताजुश्शरीया अजहरी मियां के दीदार की ख्वाहिश थी। दुनिया भर में उनके चाहने वाले और मुरीद बरेली का रुख कर रहे हैं। जिसमें मुल्क भर के अलावा विदेश से भी बड़ी संख्या में उनके चाहने वाले शामिल हैं। अजहरी मियां के अंतिम दीदार के लिए दरगाह के आस पास लम्बी लम्बी लाइन लगी रही और लोग तेज बारिश और जलभराव में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिये।

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सुन्नियत का बड़ा नुकसान
ताजुश्शरीया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान के इंतकाल के बाद दरगाह आला हज़रत के सज्जादानाशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी " अहसन मियां" ने कहा कि मरकज़ ए अहले सुन्नत ने अहम शख्सियत को खो दिया। सुन्नियत का बड़ा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई मुश्किल है। हज़रत ने अपनी पूरी जिंदगी मसलक ए आला हज़रत और सुन्नियत के फरोग के लिए काम किया।

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कई किताबें लिखी
अजहरी मियां सुन्नी समुदाय की मशहूर और मारूफ शख्सियत थे। आपने अरबी, फ़ारसी, उर्दू आदि भाषाओं में दर्जनों किताबें लिखीं। उन्होंने इस्लामी दुनिया के सबसे प्राचीन और बड़े विश्व विद्यालय जामिया अल अज़हर काहिरा मिश्र में तालीम हासिल की। अपनी बेहतरीन तालीमी रिकॉर्ड के लिए मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल अब्दुल नासिर के हाथों फख्र ए अज़हर का अवार्ड हासिल किया। अजहरी मियां भारतीय उपमहाद्वीप में अहले सुन्नत वल जमात के बड़े और बुजुर्ग आलिमों में से एक थे।

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