बीडीए से स्वीकृत आवास व प्लॉट देने के नाम पर लोगों से करीब चार करोड़ की ठगी करने वाले कृष्णा आवासीय समिति के संचालक दिलीप कुमार को आखिरकार 15 साल बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) लखनऊ की टीम ने दबोच लिया।
बरेली। बीडीए से स्वीकृत आवास व प्लॉट देने के नाम पर लोगों से करीब चार करोड़ की ठगी करने वाले कृष्णा आवासीय समिति के संचालक दिलीप कुमार को आखिरकार 15 साल बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) लखनऊ की टीम ने दबोच लिया।
दिलीप कुमार पर प्रेमनगर थाने में दर्ज सात मुकदमों में गिरफ्तारी वारंट और कुर्की की कार्यवाही पहले ही जारी हो चुकी थी।
बारादरी क्षेत्र के खुर्रम गौटिया निवासी बिल्डर दिलीप कुमार ने वर्ष 2008 में कृष्णा आवासीय समिति के नाम से एक फर्जी हाउसिंग स्कीम शुरू की। इस योजना में बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) से स्वीकृत कॉलोनी बताकर लोगों को आवास और प्लॉट देने का झांसा दिया गया। लोगों से जमा कराए गए करीब चार करोड़ रुपये लेकर दिलीप और उसके साथी फरार हो गए।
घोटाले की जानकारी मिलने पर पीड़ितों ने थाना प्रेमनगर में रिपोर्ट दर्ज कराई। दिलीप कुमार समेत छह लोगों के खिलाफ सात अलग-अलग मुकदमे दर्ज हुए। दो साल तक प्रेमनगर पुलिस ने मामले की जांच की लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
शासन के आदेश पर 25 मई 2010 को इन सभी मुकदमों की विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW), लखनऊ को सौंप दी गई। जांच के दौरान दिलीप कुमार को सभी मामलों में दोषी पाया गया। उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट और कुर्की के आदेश भी जारी कर दिए गए।
EOW ने लगातार दिलीप की तलाश की, लेकिन वह करीब 15 साल तक फरार रहा। अंततः शनिवार को EOW टीम को उसके बरेली में मौजूद होने की सूचना मिली।
EOW की क्रैक टीम के प्रभारी इंस्पेक्टर रज़ी अहमद, शिवकांत शुक्ला, हेड कांस्टेबल अहमद अली और ज्योति शंकर ने बरेली पहुंचकर स्थानीय बारादरी पुलिस के सहयोग से खुर्रम गौटिया स्थित दिलीप के घर पर दबिश दी और उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इन मामलों की विवेचना 17 वर्षों तक चली। मुकदमे में नामजद छह आरोपियों में से तीन की मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक नाबालिग आरोपी को जांच में निर्दोष पाए जाने पर नाम हटाया गया। केवल दिलीप कुमार की गिरफ्तारी अब तक हो सकी है। मालती चूडामणि, जो समिति में सहयोगी थी, अब भी फरार है और EOW उसकी तलाश कर रही है।
घटना वर्ष: 2008
ठगी राशि: लगभग ₹4 करोड़
आरोपी: दिलीप कुमार (संचालक), मालती चूडामणि समेत अन्य
मुकदमे दर्ज: 7 (थाना प्रेमनगर में)
विवेचना हस्तांतरण: मई 2010 को ईओडब्ल्यू को
अब तक गिरफ्तारी: सिर्फ दिलीप कुमार
विवेचना अवधि: 17 साल
फरार आरोपी: मालती चूडामणि (अब भी वांछित)