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बरेली

बिटिया@ work- ये बेटी नहीं है बेटों से कम, पिता का बनी सहारा

दीपिका करीब 18 साल से अपने पिता की दुकान में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है

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बरेली। आज भी हमारे देश में तमाम ऐसे लोग है जो बेटियों के पैदा होने पर मायूस हो जाते है। बेटे की चाह में आज भी तमाम बेटियां अपनी मां की कोख में ही कत्ल कर दी जाती है। इन सबके बीच तमाम ऐसी बेटियों के भी उदाहरण है जो अपने माता पिता के लिए किसी बेटे से कम नहीं है। ऐसे ही एक बेटी है बरेली की दीपिका चावला जो अपने माता पिता के लिए बेटे से कम नहीं है और अपने पिता को बेटे की कमी नहीं खलने देती है। दीपिका करीब 18 साल से अपने पिता की दुकान में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है और शादी के बाद भी वो अपने पिता की पुस्तैनी दुकान संभाल रही है।

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18 साल से बैठ रही दुकान पर

गांधीनगर की रहने वाली दीपिका के पिता यशपाल चावला कोतवाली के सामने चश्मे की दुकान चलाते है। यशपाल के कोई और संतान नहीं है सिर्फ एक बेटी दीपिका चावला ही है। दीपिका बताती है कि वो जब कक्षा आठ में पढ़ती थी तभी से उन्होंने अपने पिता के साथ दुकान पर बैठना शुरू किया था और धीरे धीरे उन्होंने पिता से ही कारोबार के सारे गुड़ सीखे जिसके बाद से उसने अपने पिता के कारोबार को संभाल लिया है। शादी होने के बाद भी दीपिका अपने पिता का कारोबार संभाल रही है। दीपिका के पिता यशपाल चावला को अब तो दिखाई नहीं देता है इस लिए अब दीपिका ही उनका एक मात्र सहारा है और दीपिका भी अपने पिता की सेवा एक बेटे की तरह ही कर रही है।

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बेटे से कम नहीं बेटी

दीपिका के पिता यशपाल चावला का कहना है कि उनकी बेटी उनके लिए बेटे से कम नहीं है। और उन्हें बेटा न होने का कोई गम नहीं है उनका कहना है कि बहुत से बुजुर्ग माता पिता है जो उनकी दुकान पर अकेले ही आते है जबकि उनके बेटे भी है इस लिए मुझे अपनी बेटी पर गर्व है क्योकि मेरी बेटी न सिर्फ बुढ़ापे में मेरा सहारा बनी हुई है बल्कि खानदान के पुस्तैनी दुकान को भी चला रही है।

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