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सीबीआई अफसर ने वैज्ञानिक से की वीडियो कॉल, कही ऐसी बात की ठग लिए 1.29 करोड रुपये

इज्जतनगर स्थित आईवीआरआई कैंपस में रहने वाले रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी एक हाईटेक साइबर गैंग का शिकार बन गए। खुद को सीबीआई और बेंगलुरु पुलिस का अफसर बताने वाले ठगों ने उनके आधार नंबर से जुड़ी फर्जी कहानी सुनाई और डराकर एक के बाद एक करके अलग-अलग खातों में 1 करोड़ 29 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए। होश तब आया जब पैसे खत्म हो गए और लोन के लिए बैंक ने इंकार कर दिया।

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आदिवासी विकास विभाग में 3.83 करोड़ का दस्तावेज घोटाला(photo-patrika)

आदिवासी विकास विभाग में 3.83 करोड़ का दस्तावेज घोटाला(photo-patrika)

बरेली। इज्जतनगर स्थित आईवीआरआई कैंपस में रहने वाले रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी एक हाईटेक साइबर गैंग का शिकार बन गए। खुद को सीबीआई और बेंगलुरु पुलिस का अफसर बताने वाले ठगों ने उनके आधार नंबर से जुड़ी फर्जी कहानी सुनाई और डराकर एक के बाद एक करके अलग-अलग खातों में 1 करोड़ 29 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए। होश तब आया जब पैसे खत्म हो गए और लोन के लिए बैंक ने इंकार कर दिया।

आईवीआरआई कैंपस में रहने वाले शुकदेव नंदी को 17 जून को व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को बेंगलुरु सिटी पुलिस का अफसर बताया और स्क्रीन पर पुलिस का लोगो भी दिखा। उसने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके फर्जी सिम कार्ड निकाले गए हैं, जिनका इस्तेमाल ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जॉब फ्रॉड में किया गया है। पीड़ित ने इस मामले में साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर किए 1.10 करोड़ रुपये

इसके बाद ठग ने उन्हें एक और नंबर दिया, जिसे उसने सीबीआई अफसर दया नायक का बताया। जब शुकदेव ने उस नंबर पर कॉल किया, तो दूसरी तरफ से भी वही कहानी दोहराई गई और कहा गया कि उनके अकाउंट में अवैध पैसा आया है। झांसे में आए शुकदेव ने 18 जून को अपने अकाउंट से 1.10 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने जब उनके दूसरे खातों की जानकारी मांगी तो उन्होंने ग्रामीण बैंक बाता का खाता नंबर भी बता दिया। इसमें से एक लाख रुपये लौटाकर ठगों ने और भरोसा जीत लिया।

दूसरी बार में दो खातों में भेजे गए 19 लाख रुपये

19 जून को उन्होंने 10 लाख रुपए दूसरे बैंक के खाते भेज दिए और 20 जून को 9 लाख रुपए अन्य बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिए। जब साइबर ठगों ने और पैसों की मांग की तो शुकदेव ने बैंक से पर्सनल लोन लेने की कोशिश की, लेकिन लोन स्वीकृत नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने कॉल करने वाले दोनों नंबरों को गूगल पर खंगाला, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। तब जाकर उन्हें समझ आया कि उनके साथ बड़ा साइबर फ्रॉड हो गया है।


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