बरेली

यूपी में इस जिले के सपा जिलाध्यक्ष का विवादित बयान, नेता बनने का शौक है तो चौखट पर करना होगा सलाम

समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव एक विवादित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर घिरते नजर आ रहे हैं। उनका एक वीडियो पिछले 48 घंटे से इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे दातागंज क्षेत्र में आयोजित पीडीए पंचायत में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह कहते नजर आ रहे हैं कि "अगर बदायूं में नेता बनना है, तो बनवारी सिंह यादव की चौखट पर सलाम करना पड़ेगा, वरना हम मजबूर कर देंगे।"

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Jun 02, 2025
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बदायूं। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव एक विवादित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर घिरते नजर आ रहे हैं। उनका एक वीडियो पिछले 48 घंटे से इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वे दातागंज क्षेत्र में आयोजित पीडीए पंचायत में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह कहते नजर आ रहे हैं कि "अगर बदायूं में नेता बनना है, तो बनवारी सिंह यादव की चौखट पर सलाम करना पड़ेगा, वरना हम मजबूर कर देंगे।"

यह बयान न सिर्फ विपक्ष बल्कि समाजवादी पार्टी के अंदर भी आलोचना का कारण बन गया है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे अहंकारपूर्ण और अनुचित बताया है।

क्या है मामला

शनिवार को दातागंज क्षेत्र में समाजवादी पार्टी की ओर से एक पीडीए पंचायत का आयोजन किया गया था। इस सभा में आशीष यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री स्व. बनवारी सिंह यादव का नाम लेते हुए कहा कि "जो भी बदायूं में राजनीति करना चाहता है, उसे बनवारी सिंह यादव के नाम का सम्मान करना होगा।" वीडियो वायरल होने के बाद यह बयान विवादों में आ गया है।

स्व. बनवारी सिंह यादव का राजनीतिक कद

स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं। वह मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते थे और उन्हें 'मिनी मुख्यमंत्री' की उपाधि तक दी गई थी। उनके पुत्र आशीष यादव, जो वर्तमान में सपा के जिलाध्यक्ष हैं, शेखूपुर विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। आशीष यादव के नेतृत्व में ही पार्टी ने पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें सपा को जीत मिली थी।


वीडियो पर सफाई: ‘बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया’

विवाद गहराने पर सपा जिलाध्यक्ष आशीष यादव ने सफाई देते हुए कहा कि,
"जिस वीडियो को वायरल किया जा रहा है, वह पूरा नहीं है। उस कार्यक्रम में मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के उदाहरण देकर कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहा था, लेकिन कुछ सेकेंड की क्लिप को काटकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। बदायूं की जनता मुझे और मेरे परिवार को अच्छी तरह जानती है। जो भी मेरे खिलाफ साजिश कर रहे हैं, अगर वे पार्टी से जुड़े हैं तो उनकी पहचान की जाएगी और उचित कार्रवाई होगी।"


पार्टी में भी उठे सवाल

इस बयान के बाद सपा के ही कई नेताओं ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की भाषा पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी भी नेता को किसी व्यक्ति विशेष के सामने सिर झुकाने की शर्त रखना न केवल अनुचित है, बल्कि यह संगठनात्मक अनुशासन पर भी सवाल उठाता है।


राजनीतिक हलकों में हलचल

विपक्षी दलों ने भी इस बयान को लेकर समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लिया है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा है कि सपा के नेता सत्ता और प्रभाव के घमंड में बोल रहे हैं और इस तरह की बयानबाजी लोकतंत्र के लिए खतरा है।

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