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मिशन शक्ति 5.0: थानों में बदलेगा इतिहास, डीआईजी बोले- अब महिलाओं को सिर्फ कार्रवाई नहीं, न्याय के साथ मिलेगी नई जिंदगी

थानों की पहचान अब सिर्फ एफआईआर और गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहेगी। महिलाओं की पीड़ा को फाइलों में दबाने का दौर खत्म होने जा रहा है। मिशन शक्ति 5.0 के जरिए पुलिस व्यवस्था में वह बदलाव लाया जा रहा है, जिसमें संवेदना, संवाद और समाधान को सबसे आगे रखा गया है।

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बरेली। थानों की पहचान अब सिर्फ एफआईआर और गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहेगी। महिलाओं की पीड़ा को फाइलों में दबाने का दौर खत्म होने जा रहा है। मिशन शक्ति 5.0 के जरिए पुलिस व्यवस्था में वह बदलाव लाया जा रहा है, जिसमें संवेदना, संवाद और समाधान को सबसे आगे रखा गया है। बरेली रेंज के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने साफ शब्दों में कहा है कि अब महिलाओं को केवल कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि सम्मान, न्याय और नई जिंदगी की मजबूत शुरुआत मिलेगी। मिशन शक्ति को औपचारिकता नहीं, बल्कि ज़मीन पर असर दिखाने वाला अभियान बनाया जाएगा जहां थाने डर की नहीं, भरोसे की जगह बनेंगे।

आंवला में बनेगा इतिहास, थाने में सुलझेंगे टूटे रिश्ते

24 दिसंबर 2025 को बरेली के थाना कोतवाली आंवला में कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो आमतौर पर थानों में देखने को नहीं मिलता। यहां न हथकड़ी होगी, न गिरफ्तारी बल्कि संवाद, समझ और संवेदना की तस्वीर नजर आएगी। मिशन शक्ति 5.0 के तहत आंवला सर्किल के करीब 100 पारिवारिक विवाद पुलिस, परिवार परामर्श केंद्र और मिशन शक्ति टीम की मेहनत से सुलझाए जा चुके हैं। पति-पत्नी के बीच जमी बर्फ पिघली, परिवारों में पसरा सन्नाटा टूटा और बच्चों के भविष्य को बचाने की राह निकली।

सम्मान उन्हें, जिन्होंने लड़ाई नहीं, शांति चुनी

इस कार्यक्रम में उन परिवारों को सम्मान मिलेगा, जिन्होंने अदालत की लंबी लड़ाई छोड़कर बातचीत को चुना, गुस्से की जगह समझ को अपनाया और हिंसा के बजाय समाधान का रास्ता पकड़ा। यह सम्मान सिर्फ एक मंच का नहीं, बल्कि समाज को दिया गया संदेश है कि हर झगड़े का अंत मुकदमे से नहीं होता। मिशन शक्ति केंद्रों तक पहुंचने वाली महिलाएं सिर्फ शिकायत लेकर नहीं आतीं, वे डर, अपमान और टूटी उम्मीदें लेकर आती हैं। मिशन शक्ति की टीम यहीं फर्क पैदा करती है। पीड़िता के कदम रखते ही उसे यह एहसास दिलाया जाता है कि वह अकेली नहीं है।

कार्रवाई नहीं, जिंदगी संवारने की पहल

मिशन शक्ति 5.0 का असली मकसद सिर्फ केस दर्ज करना नहीं, बल्कि महिलाओं को दोबारा खड़ा करना है। उन्हें इतना मजबूत बनाना कि वे डर के साये से बाहर निकलकर आत्मसम्मान के साथ जी सकें। यहां सिर्फ कानून नहीं चलता, यहां काउंसलिंग होती है, जख्मों पर मरहम रखा जाता है, कानूनी रास्ता दिखाया जाता है और आत्मनिर्भर बनने की राह भी खोली जाती है। बरेली रेंज में मिशन शक्ति 5.0 जिस तेवर में आगे बढ़ रहा है, उसने साफ कर दिया है कि अब महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ भाषणों का मुद्दा नहीं रही।