
बरेली। दारुल उलूम देवबंद से बैंक कर्मियों के यहां शादी न करने का फतवा जारी हुआ था। देवबन्द के इस फतवे को बरेलवी उलेमाओं ने खारिज कर दिया है। उलेमाओं का कहना है कि बैंक कर्मियों के यहां शादी जायज है क्योंकि बैंक का रुपया सूद नहीं बल्कि मुनाफे का होता है और ऐसा करना कोई शरई गुनाह नहीं है।
बैठक में हुई चर्चा
शुक्रवार को दरगाह आला हजरत पर स्थित नूरी मेहमान खाने में तंजीम उलेमा ए इस्लाम की बैठक हुई। तंजीम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन ने बताया कि बैठक में दारुल उलूम देवबंद के उस फतवे पर विस्तार से चर्चा की गई जिसमें दारुल उलूम ने कहा है कि जो लड़का या लड़की बैंक में नौकरी करता है उसके साथ निकाह करना जायज नहीं है साथ ही दारुल उलूम के मुफ़्ती ने यह दलील दी है कि बैंक का पैसा सूद है। इस पूरे मामले पर तंजीम के मुफ़्ती फारूक हुसैन शम्शी ने कहा कि बैंक का पैसा सूद नहीं है इसे मुनाफा माना जाना चाहिए क्योंकि बैंक जनता के पैसों से चलती है और उन पैसों से बैंक बिजनेस करती है और बिजनेस से कुछ लाभ वो बैंक धारक को देती है। इसलिए उलेमाओं ने बहुत सालों पहले बैंक के पैसों को मुनाफा बताया है। ऐसी सूरत में वो लोग जो बैंक में काम करते हैं उनसे शादी ब्याह करना जायज है और ये किसी तरह से शरई गुनाह नहीं है।
ये रहे मौजूद
बैठक की अध्यक्षता तंजीम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन ने की और बैठक में मौलना शहमत रज़ा खान, मौलना मजहर इमाम, मौलना अबसार खान, मौलना निजामुद्दीन, हाफिज ताहिर अल्वी, नाजिम बेग, फहीम रज़ा और नदीम रज़वी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
ये था फतवा
इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बैंक कर्मियों के यहां शादी को लेकर फतवा जारी किया है। इस फतवे में मुस्लिमों से कहा गया है कि वो अपने बेटे-बेटियों की शादी ऐसे परिवारों में न करें जो बैंकिंग सेक्टर में नौकरी से रुपए कमा रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर से कमाए गए रुपयों को फतवे में गलत बताया गया है।
Published on:
05 Jan 2018 08:47 pm
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