
नाला सफाई को लेकर नगर आयुक्त की चेतावनी (फोटो सोर्स : पत्रिका)
बरेली। मानसून की आहट के बीच नगर निगम का नाला सफाई अभियान विवादों में घिर गया है। सड़क किनारे फैली सिल्ट (गाद) ने जनता के लिए परेशानियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। निगम के निर्देशों के बावजूद ठेकेदार अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। केवल नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य इस पूरे अभियान पर सक्रिय निगरानी रख रहे हैं।
शहरभर में चल रहे नाला सफाई अभियान की हकीकत जानने के लिए नगरायुक्त को खुद मौके पर जाकर सत्यापन करना पड़ा। कई जगहों पर नालों से निकाली गई सिल्ट को न ही उठाया गया और न ही समय पर निस्तारित किया गया। इससे यह सिल्ट बारिश के दौरान दोबारा नालों में लौट जाती है और जलभराव का कारण बनती है।
नगर निगम के कर्मचारी सफाई के दौरान नालों से सिल्ट निकाल कर सड़क किनारे छोड़ देते हैं, जिससे कीचड़ फैल जाता है। कई इलाकों में सिल्ट का अंबार लग गया है। बारिश के दौरान यह सिल्ट वापस नालों में पहुंच जाती है या सूखने पर ठेकेदार खाली प्लॉटों को भरने के लिए इसे बेच रहे हैं।
नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सफाई के तुरंत बाद सिल्ट उठाई जाए, लेकिन ठेकेदारों ने निर्देशों को नजरअंदाज किया। कई जगहों पर नोटिस देने के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। नगरायुक्त ने कहा है:
नगर निगम ने 20 जून 2025 तक सभी प्रमुख नालों की तल्लीझाड़ सफाई पूरी करने का लक्ष्य रखा है। अप्रैल से शुरू हुए अभियान के बावजूद मई के अंत तक भी अधिकांश नालों की हालत नहीं सुधरी है। गंदगी और सिल्ट के ढेर अभी भी जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग भी इस स्थिति को देखते हुए अलर्ट हो गया है। बारिश के दौरान गंदगी के कारण संक्रमण और बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है।
हर साल करोड़ों खर्च, नतीजा शून्य
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार:
निर्माण विभाग: 2.5 करोड़ रुपये
स्वास्थ्य विभाग: 2.25 करोड़ रुपये
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Published on:
25 May 2025 09:26 pm
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